अक्टूबर माह का कृषि पंचांग/कृषि कैलेंडर( Agriculture Calender for October), अक्टूबर महीने में किये जाने वाले खेती किसानी के कार्य- फस...
अक्टूबर माह का कृषि पंचांग/कृषि कैलेंडर(Agriculture Calender for October),
अक्टूबर महीने में किये जाने वाले खेती किसानी के कार्य-
फसलोत्पादन-
धान
- धान में जीवाणु झुलसा रोग, जिसमें
पत्तियों के नोक व किनारे सूखने लगते हैं, की रोकथाम के
लिए पानी निकालकर एग्रीमाइसीन 75 ग्राम या स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 15 ग्राम व 500 ग्राम कापर
ऑक्सीक्लोराइड का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर
छिड़काव करें।
- तना छेदक कीट, जिसके आक्रमण से सूखी बाल बाहर निकलती है, जिसे सफेद बाल भी कहते हैं, की रोकथाम के लिए ट्राइकोग्रामा नामक परजीवी को 8-10 दिन के अन्तराल पर छोड़ना चाहिए। क्लोरो-पायरीफास 20 र्इ०सी० 1.5 लीटर
हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- गन्धीबग, जिसमें कीटों द्वारा बाली का रस चूस लेने के कारण दाने
नहीं बनते हैं और प्रभावित बालियाँ सफेद दिखाई देती हैं, की रोकथाम के लिए मैलाथियान 5 प्रतिशत चूर्ण प्रति हेक्टेयर 25-30 किग्रा की दर
से फूल आने के समय बुरकाव करें।
- अगैती फसल की कटाई करें।
अरहर
- अरहर की अगैती फसल में फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर मोनोक्रोटोफास 36 ई०सी० 800 मिलीलीटर 500-600 लीटर पानी में 15-20 दिन के अन्तराल पर दो छिड़काव करें।
मॅूगफली
- फलियों की वृद्धि की अवस्था पर सिंचाई करें।
शीतकालीन मक्का
- सिंचाई की समुचित व्यवस्था होने पर मक्का की बोआई
अक्टूबर के अन्त में की जा सकती है।
शरदकालीन गन्ना
- इस समय बोआई के लिए अक्टूबर का पहला पखवारा उपयुक्त
है।
- बोआई शुद्ध फसल में 75-90 सेमी० तथा
आलू, लाही या मसूर के साथ मिलवा फसल में 90 सेमी पर
करें।
- बीज उपचार के बाद ही बोआई करें। 250 ग्राम एरीटान
या 500 ग्राम एगलाल 100 लीटर पानी में घोलकर उससे 25 कु० गन्ने के
टुकड़े उपचारित किये जा सकते है।
तोरिया
- बोआई के 20 दिन के अन्दर निराई-गुड़ाई कर दें साथ ही सघन पौधों को
निकालकर पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी कर दें।
राई सरसों
- राई की बोआई के लिए माह का प्रथम पखवाड़ा सबसे उपयुक्त
है।
- समय से बोआई के लिए बरूणा, नरेन्द्र राई
8501, रोहिणी तथा देर से बोआई के लिए आशीर्वाद व वरदान अच्छी
प्रजातियाँ हैं।
- बोआई के 20 दिन के अन्दर घने पौधों को निकालकर लाइन में उनके मध्य
आपस की दूरी 15 सेमी कर दें।
चना
- चना की बोआई माह के दूसरे पखवाड़े में करें।
- पूसा 256, अवरोधी, राधे, के०-850, आधार तथा ऊसर क्षेत्र में बोआई के लिए करनाल चना-1 अच्छी
प्रजातियाँ हैं।
- काबुली चना की पूसा-1003, चमत्कार, शुभ्रा अच्दी
किस्में हैं।
मटर
- मटर की बोआई माह के दूसरे पखवाड़े में करें।
- रचना, पन्त मटर 5, अपर्णा मालवीय मटर-2, मालवीय मटर-15, शिखा एवं
सपना अच्छी प्रजातियाँ हैं।
बरसीम
- बरसीम की बोआई माह के प्रथम पखवाड़े में प्रति
हेक्टेयर 25-30 किग्रा बीज दर के साथ 1-2 किग्रा चारे
वाली राई मिलाकर करें।
गेहूँ
- असिंचित क्षेत्रों में गेहूँ बोने का कार्य अक्टूबर के
अन्तिम सप्ताह से प्रारम्भ करें
- असिंचित क्षेत्रों के लिए देवा, के-8027, के-8962 एवं गोमती
अच्छी किस्में हैं।
जौ
- असिंचित क्षेत्रों में जौ की बोआई 20 अक्टूबर से
शुरू कर सकते हैं।
सब्जियों की खेती
- आलू की अगेती किस्मों: कुफरी अशोका, कुफरी
चन्द्रमुखी, कुफरी जवाहर की बोआई 10 अक्टूबर तक
तथा मध्य एवं पिछेती फसलः कुफरी बादशाह, कुफरी सतलज, कुफरी पुखराज, कुफरी लालिमा की बोआई 15-25 अक्टूबर तक
करें।
- सब्जी मटर एवं लहसुन की बोआई करें।
बागवानी
- पपीता की रोपार्इ करें।
- आंवला में शूट गाल मेकर से ग्रस्त टहनियों को काटकर
जला दें।
- आम में गुम्मा रोग की रोकथाम हेतु एल्फा नैपथलीन
एसीटिक एसिड 4 एम०एल० प्रतिलीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।
पुष्प व सुगन्ध पौधे
- ग्लैडियोलस के कन्दों को 2 ग्राम
बेविस्टीन एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर, 10-15 मिनट तक डुबोकर उपचारित करने के बाद 20-30×20 सेमी पर 8-10 सेमी की गहराई में रोपाई करें। रोपाई से पूर्व
क्यारियों में प्रति वर्गमीटर 5 ग्राम कार्बोफ्यूरान अवश्य मिलायें।
- गुलाब के पौधों की कटाई-छंटाईकर कटे भागों पर डाईथेन
एम० 45 का 2 ग्राम पति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
पशुपालन/दुग्ध विकास
- खुरपका-मुँहपका का टीका अवश्य लगवायें।
- वर्षा ऋतु में पशुओं के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं।
अतः कृमिनाशक दवाओं को पिलाएं।
मुर्गीपालन
- सन्तुलित आहार निर्धारित मात्रा में दें।
- रानीखेत बीमारी से बचाव के लिए टीका लगवायें।