अप्रैल माह का कृषि पंचांग/कृषि कैलेंडर( Agriculture Calender for April ) अप्रैल महीने में किये जाने वाले खेती बाड़ी के कार्य , फसल...
अप्रैल माह का कृषि पंचांग/कृषि
कैलेंडर(Agriculture
Calender for April)
अप्रैल महीने में किये जाने वाले
खेती बाड़ी के कार्य,
फसलोत्पादन
गेहूँ
- फसल काटने से पहले खरपतवार या गेहूँ की अन्य
प्रजातियों की बालियों को निकाल देना चाहिए, जिससे मड़ाई
के समय इनके बीज गेहूँ के बीज में न मिलने पायें।
जौ/चना/मटर/सरसों/मसूर
- जौ, चना, मटर, सरसों व मसूर आदि कटाई व मड़ाई पुरी कर लें।
सूरजमुखी
- सूरजमुखी में हरे फुदके पत्तियों से रस चूसकर हानि
पहुँचाते हैं। इनके नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर फास्फेमिडान 250 मिलीलीटर का
छिड़काव करें।
उर्द/मूँग
- उर्द की बोआई का समय अब निकल गया है। परन्तु मूँग की
बोआई 10 अप्रैल तक की जा सकती है।
- उर्द/मूँग की फसल में पत्ती खाने वाले कीटों की रोकथाम
करें।
शरदकालीन/बसन्तकालीन
गन्ना
- आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें।
- गन्ने की दो कतारों के मध्य इस समय मूँग की एक कतार
बोई जा सकती है।
चारे की फसल
- बीज वाले बरसीम के खेत में हल्की सिंचाई करें अन्यथा
वानस्पतिक वृद्धि अधिक होगी तथा बीज उत्पादन घटेगा।
सब्जियों की खेती
- नर्सरी तैयार करने के लिए लो टनेल पाली हाउस (एग्रोनेट
युक्त) का प्रयोग करने से अच्छी गुणवत्ता का
पौध तैयार होगा।
- बैगन में तनाछेदक कीट से बचाव के लिए नीमगिरी 4 प्रतिशत का
छिड़काव 10 दिन के अन्तराल पर करने से अच्छा
परिणाम मिलता है।
- भिण्डी/लोबिया की फसल में पत्ती खाने वाले कीट से
बचाने के लिए क्यूनालफास 20% 1.0 ली./हे. 800 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- लहसुन व प्याज की खुदाई करें। खुदाई के 10-12 दिन पूर्व
सिंचाई बन्द कर दें।
- लाल भृंग कीट की रोकथाम के लिए सुबह ओस पड़ने के समय
राख का बुरकाव करने से कीट पौधों पर नहीं
बैठते हैं।
- सूरन की बोआई पूरी माह तथा अदरक व हल्दी की बोआई माह
के दूसरे पखवाड़े से शुरू की जा सकती है।
- प्रति हेक्टेयर अदरक की बोआई के लिए लगभग 18 कुन्टल, हल्दी के लिए
15-20 कुन्टल व सूरन के लिए 75 कुन्टल बीज
की आवश्यकता होती है।
- बोआई से पूर्व हल्दी व अदरक के बीज को 0.3 प्रतिशत कापर
आक्सीक्लोराइड के घोल में उपचारित कर लें।
फलों की खेती
- आम के गुम्मा रोग (मालफारमेशन) से ग्रस्त पुष्प
मंजरियों को काट कर जला या गहरे गढ्ढे में दबा दें।
- आम के फलों को गिरने से बचाने के लिए एल्फा नेफ्थलीन
एसिटिक एसिड 4.5 एस.एल. के 20 मिली को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- लीची के बागों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें।
लीची में फ्रूट बोरर की रोकथाम हेतु डाईक्लोरोवास
आधा मिलीलीटर प्रति लीटर पानी (0.05 प्रतिशत) या 2 मिलीलीटर प्रति 5 लीटर पानी (0.04 प्रतिशत) में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर तथा पपीता की सिंचाई करें।
पुष्प व सगन्ध पौधे
- गर्मी के फूलों जैसे जीनिया, पोर्चुलाका व
कोचिया के पौधों की सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई कर दें।
- मेंथा में 10-12 दिन के अन्तर पर सिंचाई तथा तेल निकालने हेतु प्रथम कटाई करें।
पशुपालन/दुग्ध विकास
- पशुओं में खुरपका-मुँहपका रोग से बचाव के लिए टीका
लगवायें।
- पशुओं के लिए बदलते हुए मौसम के अनुसार सुपाच्य तथा
पौष्टिक चारा की व्यवस्था करें।
मुर्गीपालन
- जो मुर्गियाँ कम अण्डे दे रही हों, उनकी छटनी कर
दें।
- मुर्गियों में डिवर्मिंग (पेट के कीड़ों के लिए दवा)
करें।
- बदलते मौसम में मुर्गियों को प्रकाश, स्वच्छ जल
तथा सन्तुलित आहार की व्यवस्था करवायें।
- आर.डी. तथा फाउल पाक्स का टीकाकरण ससमय करायें