जनवरी माह का कृषि पंचांग/कृषि कैलेंडर(Agriculture Calender for January) जनवरी महीने में किये जाने वाले खेती किसानी के कार्य : फसलोत्पा...
जनवरी माह का कृषि पंचांग/कृषि कैलेंडर(Agriculture Calender for January)
जनवरी महीने में किये जाने वाले खेती किसानी के कार्य :
फसलोत्पादन
गेहूँ
- गेहूँ में दूसरी सिंचाई बोआई के 40-45 दिन बाद
कल्ले निकलते समय और तीसरी सिंचाई बोआई के 60-65 दिन बाद गांठ
बनने की अवस्था पर करें।
- गेहूँ की फसल को चूहों से बचाने के लिए जिंक फास्फाइड
से बने चारे अथवा एल्यूमिनियम फास्फाइड की टिकिया का प्रयोग करें।
जौ
- जौ में दूसरी सिंचाई, बोआई के 55-60 दिन बाद गांठ
बनने की अवस्था पर करें।
चना
- फूल आने के पहले एक सिंचाई अवश्य करें।
- फसल में उकठा रोग की रोकथाम के लिए बुआई से पूर्व
ट्राइकोडरमा 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर 60-75 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर भूमि शोधन
करना चाहिये।
मटर
- मटर में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) जिसमें पत्तियों, तनों तथा
फलियों पर सफेद चूर्ण सा फैल जाता है, की रोकथाम के
लिए प्रति हेक्टेयर घुलनशील गंधक 80%, 2.0 किग्रा 500 - 600 लीटर पानी में घोलकर 10-12 दिन के
अन्तराल पर छिड़काव करें।
राई-सरसों
- राई-सरसों में दाना भरने की अवस्था में दूसरी सिंचाई
करें।
- माहू कीट पत्ती, तना व फली सहित सम्पूर्ण पौधे से रस चूसता है। इसके नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर डाइमेथोएट 30% ई.सी. की 1. 0 लीटर मात्रा 650 - 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
शीतकालीन मक्का
- खेत में दूसरी निराई-गुड़ाई, बोआई के 40-45 दिन बाद करके
खरपतवार निकाल दें।
- मक्का में दूसरी सिंचाई बोआई के 55-60 दिन बाद व
तीसरी सिंचाई बोआई के 75-80 दिन बाद करनी चाहिए।
शरदकालीन गन्ना
- आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें।
- गन्ना को विभिन्न प्रकार के तनाछेदक कीटों से बचाने के
लिए प्रति हेक्टेयर 30 किग्रा कार्बोफ्युरॉन 3% सी0 जी0 का प्रयोग
करें।
बरसीम
- कटाई व सिंचाई 20-25 दिन के अन्तराल पर करें। प्रत्येक कटाई के बाद भी सिंचाई करें।
सब्जियों की खेती
- आलू, टमाटर तथा मिर्च में पिछेती झुलसा से बचाव हेतु
मैंकोजेब 75% डब्ल्यू. पी. की 2 किग्रा मात्रा प्रतिहेक्टेयर 500-600 ली0 पानी में घोल कर छिड़काव करें।
- मटर में फूल आते समय हल्की सिंचाई करें। आवश्यकतानुसार
दूसरी सिंचाई फलियाँ बनते समय करनी चाहिए।
- गोभीवर्गीय सब्जियों की फसल में सिंचाई, गुड़ाई तथा
मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें।
- टमाटर की ग्रीष्मकालीन फसल के लिए रोपाई कर दें।
- जायद में मिर्च तथा भिण्डी की फसल के लिए खेत की
तैयारी अभी से आरम्भ कर दें।
फलों की खेती
- बागों की निराई-गुड़ाई एवं सफाई का कार्य करें।
- आम के नवरोपित एवं अमरूद, पपीता एवं
लीची के बागों की सिंचाई करें।
- आम के भुनगा कीट से बचाव हेतु मोनोक्रोटोफास 36% एस. एल. 1.5 मिली.
प्रतिलीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
- आंवला के बाग में गुड़ाई करें एवं थाले बनायें।
- आंवला के एक वर्ष के पौधे के लिए 10 किग्रा गोबर/
कम्पोस्ट खाद, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फेट व 75 ग्राम पोटाश
देना आवश्यक होगा। 10 वर्ष या उससे ऊपर के पौधे में यह मात्रा बढ़कर 100 किग्रा
गोबर/कम्पोस्ट खाद, 1 किग्रा नाइट्रोजन, 500 ग्राम
फास्फेट व 750 ग्राम पोटाश हो जायेगी। उक्त मात्रा से पूरा फास्फोरस, आधी नाइट्रोजन व आधी पोटाश की मात्रा का प्रयोग जनवरी माह
से करें।
पुष्प व सगन्ध पौधे
- गुलाब में समय-समय पर सिंचाई एवं निराई गुड़ाई करें तथा
आवश्यकतानुसार बंडिंग व इसके जमीन में लगाने का कार्य कर लें।
- मेंथा के सकर्स की रोपाई कर दें। एक हेक्टेयर के लिए 2.5-5.0 कुन्टल सकर्स आवश्यक होगा।
पशुपालन/दुग्ध विकास
- पशुओं को ठंड से बचायें। उन्हें टाट/बोरे से ढकें।
पशुशाला में जलती आग न छोड़ें।
- पशुशाला में बिछाली को सूखा रखें।
- पशुओं के भोजन में दाने की मात्रा बढ़ा दें।
- पशुओं में लीवर फ्लूक नियंत्रण हेतु कृमिनाशक दवा
पिलवायें।
- खुरपका, मुँहपका रोग से बचाव के लिए टीका अवश्य लगवायें।
मुर्गीपालन
- अण्डे देने वाली मुर्गियों को लेयर फीड दें।
- चूजों को पर्याप्त रोशनी तथा गर्मी दें।