जुलाई माह का कृषि पंचांग/कृषि कैलेंडर( Agriculture Calender for Ju ly ) जुलाई महीने में किये जाने वाले खेती किसानी के कार्य- फसलोत्पा...
जुलाई माह का कृषि पंचांग/कृषि कैलेंडर(Agriculture Calender for July)
जुलाई महीने में किये जाने वाले खेती किसानी के कार्य-
फसलोत्पादन -
धान
- धान की मध्यम व देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई
माह के प्रथम पखवाड़े में पूरा कर लें।
- शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई के दूसरे
पखवाड़े तक की जा सकती है।
- सुगन्धित प्रजातियों की रोपाई माह के अन्त में करें।
- यदि हरी खाद का प्रयोग करना हो तो रोपाई के तीन दिन
पूव ही उसे मिट्टी पलटने वाले हल से पलटकर, सड़ने के लिए
खेत में पानी भर दें।
- भूमि में उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर
करें।
- धान की रोपाई से पूर्व 25 किग्रा प्रति
हेक्टेयर की दर से जिंक सल्फेट खेत में मिला दें, परन्तु ध्यान
रहे कि फास्फोरस वाले उवरक के साथ जिंक सल्फेट कभी न मिलायें।
- धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 3-4 दिन के अन्दर ब्यूटाक्लोर 50 ई.सी. 3-4 लीटर 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या 5 प्रतिशत
ब्यूटाक्लोर ग्रेन्यूल की 30-40 किग्रा मात्रा प्रति हे0 का प्रयोग
करें एनिलोफास 30 ई.सी. की 1.65 लीटर मात्रा रोपाई के 3-4 दिन के अन्दर
प्रयोग करें।
ज्वार
- ज्वार की बोआई माह के प्रथम पखवाड़े तक पूरी कर लें।
बाजरा
- बाजरा की बोआई 15 जुलाई के बाद पूरे माह की जा सकती है।
मूँग/उर्द/अरहर
- मूँग/उर्द/अरहर की फसल की बोआई के लिए उपयुक्त समय है।
- बोआई से पूर्व बीज को राइजोबियम कल्चर से अवश्य
उपचारित करें।
सोयाबीन
- सोयाबीन की बोआई के लिए माह का प्रथम पखवाडा़ सबसे
अच्छा है।
- बोआई से पूर्व सोयाबीन के बीज को राइजोबियम कल्चर से
उपचारित करना जरूरी है।
- खरपतवार के रासायनिक नियंत्रण के लिए बोआई के तुरन्त
बाद एलाक्लोर 50 ई.सी. की 4 लीटर मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
मूँगफली
- मूँगफली की बोआई माह के प्रथम सप्ताह तक पूरी कर लें।
- बोआई के 3 सप्ताह बाद निराई करके प्रति हेक्टेयर 100 किग्रा
जिप्सम डालकर हल्की गुड़ाई कर दें।
गन्ना
- गन्ने की फसल में मिट्टी चढ़ाने का कार्य इस माह पूरा
कर लें।
सूरजमुखी
- खरीफ में सूरजमुखी की बोआई माह के प्रथम पखवाड़े में
करें।
चारे की फसलें
- हरे चारे के लिए लोबिया, ज्वार, बहुकटाई वाली
चरी, मक्का, बाजरा व ग्वार की बोआई करनी
चाहिए।
सब्जियों की खेती
- बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की रोपाई का समय है।
- जाड़े के टमाटर की फसल के लिए बीज की बोआई पौधशाला में
करते हैं। इसके लिए मुक्त परागित किस्मों के
लिए 350-400 ग्राम तथा संकर किस्मों के लिए 200-250 ग्राम बीज की आवश्यकता होगी।
- खरीफ की प्याज के लिए पौधशाला में बीज की बोआई 10 जुलाई तक कर
दें। प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए बीज दर 12-15 किग्रा होगी।
- कद्दूवर्गीय सब्जियों में बोआई के लगभग 25-30 दिन बाद
पौधों के बढ़वार के समय प्रति हेक्टेयर 15-20 किग्रा नाइट्रोजन की टाप ड्रेसिंग करें।
- बरसात वाली भिण्डी तथा अरवी की बोआई पूरी कर लें।
फलों की खेती
- आम, अमरूद, लीची, आँवला, कटहल, नींबू, जामुन, बेर, केला, पपीता के नये बाग लगाने का समय है।
- आम व लीची में रेडरस्ट तथा शूटी मोल्ड रोग की रोकथाम
के लिए कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू.पी. 0.3 प्रतिशत (3 ग्राम दवा
प्रति लीटर पानी में घोलकर) का छिड़काव करें।
- लीची में गूटी बाँधने का कार्य करें।
- बेर में मिलीबग कीट की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 ई.सी. 1.5 मिली प्रति
लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- आँवले के बागों में एफिस की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास
0.04 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें।
पुष्प व सगन्ध पौधे
- रजनीगन्धा में बरसात न होने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई
एवं निराई-गुड़ाई तथा पोषक तत्वों के मिश्रण का
15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें।
- रजनीगन्धा में स्पाइक (पुष्प डन्डियों) को समय-समय पर
तोड़ें।
मुर्गीपालन
- मुर्गीपालन को नमी तथा सीलन से बचायें।
- मुर्गीखाने में उचित प्रकाश की व्यवस्था करें।
- मुर्गीखाने एवं प्रयोग किये जाने वाले बर्तनों की धूल
व गन्दगी की प्रतिदिन सफाई करें।
- अण्डे व मीट के लिए उपयुक्त प्रजातियों का चयन करें।
पशुपालन/दुग्ध विकास
- गलाघोंटू तथा बी.क्यू. का टीका लगवायें।
- पशुओं को पेट के कीड़े मारने की दवा पिलायें।
- पशुओं को बरसात से बचाव हेतु पूरा प्रबन्ध करें। फर्श
तथा बिछावन को सूखा रखें।