पशुपालन की सरकारी योजनायें : पशुधन बीमा योजना,मैत्री योजना,ग्रामीण बैकयार्ड कुक्कुट विकास योजना की जानकारी हिंदी में पढ़ें Animal husbandy govt schemes information in hindi
पशुपालन की सरकारी योजनायें : पशुधन बीमा योजना,मैत्री योजना,ग्रामीण बैकयार्ड कुक्कुट विकास योजना की जानकारी हिंदी में पढ़ें Animal husbandy govt schemes information in hindi
पशुधन बीमा योजना-
योजना का उदेश्य पशुपालकों को उनके पशुओं हेतु बीमे की सुविधा प्रदान कर, दुधारु/गैर दुधारु/अन्य पशुओं की मृत्यु से होने वाली हानि की पप्रतिपूर्ति करना एवं होने वाली आर्थिक हानि को रोकना हैं। योजना की क्रियान्वयन इकाई म0प्र0 पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम हैं। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 से पूर्व संचालित पशुधन बीमा योजना प्रारुप में संशोधन कर, पशुधन बीमा को रिस्क मैनेजमेंट के रुप में राष्ट्रीय पशुधन मिशन ;छंजपवदंस स्पअमेजवबा डपेेपवदद्ध में शामिल किया गया है, जिसमें प्रदेश के समस्त जिले शामिल किए गए हैं। योजनान्तर्गत सभी प्रकार के पशुओं का बीमा ( दुधारु देशी/संकर गाय व भैंस, अन्य जानवर जैसे-घोडा/गधा/उंट/नर-गौंवंश भैंस वंश/बकरी/भेड/सूकर/ खरगोश इत्यादि) से लाभान्वित किया जाएगा। अब यह योजना गरीबी रेखा से उपर वाले हितग्राहियों हेतु केन्द्रांश 25 प्रतिशत, राज्यांश 25 प्रतिशत एवं 50 प्रतिशत हितग्राही अंशदान से तथा अनुसूचित जाति/जनजाति/गरीबी रेखा से नीचे वाले हितग्राहियों हेतु केन्द्रांश 40 प्रतिशत, राज्यांश 30 प्रतिशत एवं हितग्राही अंशदान 30 प्रतिशत पर संचालित की जा रही।
मैत्री योजना-
यह योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एनपीबीबी योजना अंतर्गत वर्ष 2014-15 से संचालित है। इस योजना के तहत गौसेवकों को चार माह का कृत्रिम गर्भाधान का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें 1 माह का सैद्वांतिक प्रशिक्षण कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थानों में एवं 3 माह का प्रायोगिक प्रशिक्षण जिलों के कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों/पशु चिकित्सालयों में दिया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान प्रति प्रशिक्षणार्थी राशि रू. 4000/- प्रतिमाह के हिसाब से कुल 4 माह की प्रशिक्षण अवधि हेतु कुल राशि रू.16000/- स्टाईफंड के रूप में दी जाती है। प्रशिक्षण उपरांत उन्हें कृत्रिम गर्भाधान किट प्रदाय की जाती है ताकि वह क्षेत्र में जाकर कृत्रिम गर्भाधान कार्य एवं अन्य कार्य प्रारंभ कर सकें। मैत्री द्वारा कार्य प्रांरभ करने के उपरंात उन्हें 3 वर्षों के लिए टेपरिंग ग्रांट दिए जाने का प्रावधान है। जिसमें प्रथम वर्ष में राशि रू.1500 प्रतिमाह, द्वितीय वर्ष मंे राशि रू. 1200 प्रतिमाहएवं तृतीय वर्ष में रू.800 प्रतिमाह टेपरिंग ग्रांट के रूप में दी जाती है।
ग्रामीण बैकयार्ड कुक्कुट विकास-
भारत सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले समस्त वर्गों के हितग्राहियों के लिए 100 प्रतिशत अनुदान पर यह योजना वर्ष 2010-11 से मध्यप्रदेश में प्रारम्भ की गई थी। वर्ष 2014-15 से योजना को राष्ट्रीय पशुधन मिशन मंे समाहित कर 75 प्रतिशत केन्द्रांश तथा 5 प्रतिशत राज्यांश तथा 20 प्रतिशत हितग्राही अंश पर प्रदेश में संचालित की जा रही है। योजनान्तर्गत प्रत्येक हितग्राही को बिना लिंग भेद के 4 सप्ताह के लो इनपुट टेक्नाॅलोजी वाले 45 पक्षी दो चरणों में प्रदाय किए जाते हैं। साथ ही पक्षियों के लिए दढ़़बा बनाने हेतु रु. 1500 दिए जाने का प्रावधान है। प्रत्येक मदर यूनिट सेे 300 हितग्राहियों को चूजे प्रदाय किए जाते हैंे। मदर यूनिट के हितग्राही रु. 60,000 अनुदान के पात्र होंगे जो सीधे उनके खाते में जमा किया जाता है। । मदर यूनिट के हितग्राही को 4 सप्ताह के चूजों का रु. 45 प्रति चूजा का भुगतान किया जाता है। वर्ष 2016-17 से योजना को 60 प्रतिशत केन्द्रांश तथा 20 प्रतिशत राज्यांश तथा 20 प्रतिशत हितग्राही अंश पर प्रदेश में संचालित की जा रही है।