तम्बाकू की सूंडी का जैविक कीट नाशक से करें रोकथाम । न्यूक्लियर पॉलीहेड्रासिस वायरस (एन.पी.वी.) पर आधारित हरी सूंडी़ (हेलिकोवर्पा आर्मीजे़...
तम्बाकू की सूंडी का जैविक कीट नाशक से करें रोकथाम । न्यूक्लियर पॉलीहेड्रासिस वायरस (एन.पी.वी.) पर आधारित हरी सूंडी़ (हेलिकोवर्पा आर्मीजे़रा ) से करें बचाव,
न्यूक्लियर पॉलीहेड्रासिस वायरस (एन.पी.वी.) पर आधारित हरी सूंडी़ (हेलिकोवर्पा आर्मीजे़रा) अथवा तम्बाकू सूंड़ी (स्पोडाप्टेरा लिटूरा) का जैविक कीटनाशक है जो तरल रूप में उपलब्ध है। इसमें वायरस कण होते हैं जिनसे सूंडी द्वारा खाने या सम्पर्क में आने पर सूंडियों का शरीर 2 से 4 दिन के भीतर गाढ़ा भूरा फूला हुआ व सड़ा हो जाता हे, सफेद तरल पदार्थ निकलता है व मृत्यु हो जाती है। रोग ग्रसित तथा मरी हुई सूंडियां पत्तियों एवं टहनियों पर लटकी हुई पाई जाती हैं।
एन.पी.वी. कपास, फूलगोभी, टमाटर, मिर्च, भिण्डी, मटर, मूंगफली, सूर्यमुखी, अरहर, चना, मोटा अनाज, तम्बाकू एवं फूलों को नुकसान से बचाता है। प्रयोग करने से पूर्व 1 मिली एन.पी.वी. को 1 लीटर पानी में घोल बनाये तथा ऐसे घोल को 250 से 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 12 से 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 छिड़काव फसलों के लिए उपयोगी हैं। छिड़काव सांयकाल को किया जाय तथा ध्यान रहे कि लार्वा की प्रारम्भिक शैशवावस्था में अथवा अंडा देने की स्थिति में प्रथम छिड़काव किया जाय। एन.पी.वी. की सेल्फ लाइफ 01 माह है।