स्वास्थ्य मृदा : मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या हैं ? मृदा परीक्षण, नमूना लेने का समय व विधि,मृदा परीक्षण के लाभ हिंदी में सम्पूर्ण जानकारी पढ़े...
स्वास्थ्य मृदा : मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या हैं ? मृदा परीक्षण, नमूना लेने का समय व विधि,मृदा परीक्षण के लाभ हिंदी में सम्पूर्ण जानकारी पढ़ें (Health Soil: What are Soil Health Cards? Soil testing, time and method of sampling, benefits of soil testing Read full information in Hindi)
स्वस्थ्य मृदा का मतलब है कि मृदा में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (कार्बनिक पदार्थ, मुख्य एवं सूक्ष्म तत्व) की भरपूर मात्रा एवं नमी रोकने की क्षमता हो। जिससे अधिक फसल उत्पादन लिया जा सकें।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड
मृदा स्वास्थ्य कार्ड मृदा परीक्षण जांच रिपोर्ट जिसे किसानों को प्रत्येक जोतों के लिए दिया जाता है। इसमें 12 पैरामीटर (यथा pH, EC, जीवांश कार्बन, नत्रजन, फास्फेट, पोटाश, गंधक, जस्ता, लोहा, ताँबा, मैग्नीज एवं बोरान) पर जांच परीक्षणोंपरान्त ही कृषकों को निःशुल्क मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपयोगिता -
मृदा स्वास्थ्य कार्ड में किसान के खेत की मृदा जांच/परीक्षणोंपरान्त पोषक तत्वों की स्थिति के आधार पर रसायनिक उर्वरक, कार्बनिक खाद एवं जैव उर्वरक प्रयोग करने की सलाह दी जायेगी। इसके अलावा इसमें किसानों को उर्वरकों और उसकी मात्रा के सम्बन्ध में जानकारी दी जायेगी।
मृदा नमूना लेने का उचित समय -
खरीफ, रबी एवं जायद फसलों के बुवाई के पूर्व खेत खाली होने पर मृदा नमूना लिया जाता है।
मृदा नमूना सैम्पलिंग -
मृदा नमूना ठीक प्रकार से लेना बहुत महत्वपूर्ण है जिसका परीक्षण करके उवर्रकों का निर्धारण किया जाता हैं। यह भूमि के एक बड़े भाग का प्रतिनिधि नमूना होता हैं। मृदा परीक्षण के लिए आधा किलोग्राम (खेत के विभिन्न भागों से एकत्रित) मृदा नमूना एकत्र किया जाता हैं।
मृदा नमूना एकत्र करने की विधि :
जिस खेत/ग्रिड क्षेत्र से मृदा नमूना एकत्र करना है उसमें आठ से दस स्थानों पर 6x4x6 इंच (15 सेमी०) गहराई के गड्डे की दीवार से लगभग 2.5 सेमी० पर्त, खुरपी की सहायता से ऊपर से नीचे की मिट्टी खोदकर एकत्रित कर लें।
खेत के विभिन्न गड्डों से प्राप्त मिट्टी को साफ कपड़े/कागज/बर्तन में डालकर अच्छी तरह से मिला लें। अब मिट्टी का ढेर बना लें तथा उसके चार भाग कर लें। आमने-सामने के दो भाग फेंक दें एवं दो भाग फिर अच्छी तरह से मिलायें। पुनः ढेर बनाकर उक्त प्रक्रिया को दोहरायें। यह प्रक्रिया तब तक करें जब मिट्टी आधा किलो रह जायें। मिट्टी साफ थैली में भर दें।
अब दो लेबिल लें। उन पर कृषक का नाम, भू-स्थिति (अक्षांश एवं देशांतर) ग्राम का नाम, खेत की पहचान, खसरा सं०, आधार नम्बर, मोबाइल नम्बर, क्षेत्रफल, विकास खण्ड का नाम, तहसील का नाम, जनपद का नाम आदि अवश्य लिख दें। एक लैबिल थैली के अन्दर एवं एक थैली के ऊपर बाँध दें। मृदा नमूना भेजते समय यह भी अंकित करना आवश्यक है कि खेत में कौन-सी फसल ली जानी है, ताकि उसी के अनुसार उर्वरक की संस्तुति की जा सकें।
मृदा नमूना लेते समय ध्यान देने योग्य बातें -
मृदा नमूना लेते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
·
खेत
की मिट्टी की बनावट, ढाल,
और उत्पादकता के आधार पर बांट लें।
·
पेड़
के नीचे से, सिंचाई
नाली, खाद के गड्डे से,
खड़ी फसल आदि से मृदा नमूनें न लें।
·
एक
मृदा नमूना लेने हेतु एक ग्रिड के 8 से 10 स्थानों
से मृदा लेकर एक में मिला कर प्रतिनिधित्व मृदा नमूना तैयार करना चाहिए।
·
यदि
मिट्टी गीली हो तो उसे छाया में सुखाकर थैली में भरना चाहिए। इस प्रकार एकत्रित
मृदा नमनों को यथाशीघ्र प्रयोगशाला में विश्लेषण हेतु भेज देना चाहिए।
·
मृदा
नमूना लेते समय मृदा स्वास्थ्य कार्ड से सम्बन्धित चाही गयी समस्त सूचना यथाः कृषक
का विवरण, भू–स्थिति (आक्षांश एवं देशान्तर) मोबाइल
नं०, पता, खसरा नं०, आदि कॉलम पूर्ण रूप से अवश्य भरें जाये,
कोई भी कॉलम रिक्त न छोड़ा जाये।
मृदा परीक्षण की
आवश्यकता -अधिक उपज लेने के लिए विभिन्न फसलों में ठीक समय पर उचित मात्रा में उर्वरक उपयोग करने की आवश्यकता होती है। मिट्टी जॉच से स्पष्ट पता चल जाता है कि भूमि में पोषक तत्व उपलब्धता कितनी हैॽ किसी फसल विशेष के लिए कितने और तत्व चाहिए, के आधार पर उर्वरकों की सिफारिश कर दी जाती है। उर्वरकों का चुनाव मात्रा और उपयोग करने के सही ढंग की पूरी जानकारी किसानों को सरल भाषा में जांच रिर्पोट के साथ लिखित रूप से भेज दी जाती है।
प्रायः मिट्टी के भौतिक और रसायनिक गुणों के आधार पर ही फसलों का चयन करना अधिक श्रेयकर रहता है क्योंकि सभी मृदाएं सभी फसल उगाने के लिए उपयुक्त नहीं होती है। मिट्टी की जांच से स्पष्ट निर्देश मिल जाता है कि विशेष खेत में कौन सी फसल उगानी लाभप्रद रहेगी या कौन सी नहीं उगानी चाहिए। सभी फसलों के उचित बढ़वार⁄उत्पादन हेतु पी०एच० मान 6.5 से 7.5 सबसे उपयुक्त होता है।
मृदा परीक्षण से लाभ :
मृदा परीक्षण के निम्नलिखित लाभ इस प्रकार हैं -
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मृदा
में उपलब्ध पोषक तत्वों का सही निर्धारण कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से
कृषकों तक पहुचना।
·
विभिन्न
फसलों की दृष्टि से पोषक तत्वों की कमी का पता करके किसानों को स्पष्ट सूचना देना।
·
मृदा
में पोषक तत्वों की स्थिति ज्ञात करना और उसके आधार पर फसलों के अनुसार
उर्वरकों/खादों को डालने की संस्तुति करना।
·
मृदा
की विशिष्ट दशाओं का निर्धारण करना, जिससे मृदा को कृषि विधियों और मृदा सुधारकों की सहायता से ठीक
किया जा सकें।
·
संतुलित
उर्वकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना।
मृदा परिक्षण के समय
किसान भाईयों किन-किन तत्वों के प्रयोग पर विशेष ध्यान देना चाहिए-किसानों को मुख्य पोषक तत्वों (नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश), दितीय पोषक तत्व (गधक), सूक्ष्म पोषक तत्व (जस्ता, लोहा, तॉबा, मैग्नीज एवं बोरान) पर विशेष ध्यान देना होता है।