सुअर पालन - शुकर शावकों की देखभाल एवं प्रारंभिक प्रबंधन की पूरी जानकारी
जन्म के उपरांत शावकों का उचित देखभाल एवं प्रवंधन उनके जीवित रहने के लिये एक महत्वपूर्ण बिंदु है| एक शोध के अनुसार लगभग 10% शावकों की मृत्यु जन्म के उपरांत लगभग 1 महीने में हो जाती है | शावकों की मृत्यु को प्रमुख दो कारकों में बांटा जा सकता है | इसमें लगभग 49% कारण माँ का बच्चों के ऊपर बैठने या लेटना होता है, जिसके कारण बच्चे कुचल जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है साथ साथ लगभग 51% शावक भूख के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं | मृत्यु प्राप्त शावकों में से प्रायः 50 प्रतिशत शुकरों के शावको की मृत्यु प्रथम तीन दिन में ही हो जाती है | अतः कृषकों को शावकों के जन्म के उपरांत उचित एवं गहन देखभाल करना चाहिए |
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शावकों को तेली / खीज का पान -
शुकारों के शावक जन्म से बहुत नाजुक होते है उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमताऐ नगण्य होती है साथ साथ जीवन यापन हेतु उनके शरीर में लगभग 2-3 दिन की ऊर्जा एवं वसा ही रहता है इस कारण वश प्रथम दुग्ध जो कि शावक के जन्म के उपरांत एवं 24 घंटे तक माँ की दुग्ध ग्रिथिओ द्वारा स्त्रावित होता है उसमे ढेर सारे रोग प्रतिरक्षी अवयव होते हैं जो कि शावकों को विभिन्न प्रकार की बिमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है| इस कारण कृषक बंधुओं को यह ध्यान देना चाहिए कि समस्त शावकों को सामान्य रूप से खीज की प्राप्ति हो |
जन्म से शावकों को मूलतः दो भागों में विभक्त कर सकते हैं प्रथम वो शावक जो कि जन्म के 15 मिनट के अन्दर खड़े हो जाते हैं और माँके स्तन तक पहुँच जाते हैं ऐसे शावको को सामान्य एवं मजबूत शावक कहते हैं द्वितीय वो शावक जिन्हें जन्म से अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए लगभग आधे से पौन घंटे लगते हैं इन्हें असामान्य एवं कमजोर शावक की श्रेणी में रखा जाता है | सामान्य शावक माँ के स्तन के अग्र भाग से दूध पीने लगता है जहाँ सबसे ज्यादा दूध का स्त्रावण होता है| इस कारण वश सबसे अधिक दूध सामान्य एवं मजबूत शावक को मिलता है और कमजोर एवं असामान्य शावक दूध से वंचित रह जाता है और काल के ग्रास में समा जाता है |
इस कारण वश पशु पालकों को शावक के जन्म के उपरांत शावको को दो भागों में विभक्त करना चाहिए और बारी बारी से दोनों वर्गों को दुग्ध पान करवाना चाहिए सर्व प्रथम असमान्य एवं तदुपरांत सामान्य शावकों को दुग्ध पान करवाना चाहिए | यह प्रक्रिया बाद के दिनों में भी दोहराई जानी चाहिए | शुकर के गर्भ धारण एवं प्रसव उपरांत शुकर के खान पान का अत्यधिक ध्यान रखना चाहिए जिससे कि पर्याप्त दुग्ध का उत्पादन हो सके और समस्त शावकों को सम्पूर्ण आहार मिल सके | इस प्रक्रिया द्वारा शावकों की मृत्यु को कम किया जा सकता है |