जलवायु (climate) –
आलू को madhyanm शीत की आवश्यवकता होती है। मैदानी क्षेत्रो में बहुधा शीतकाल (रबी) में आलू की खेती प्रचलित है । आलू की वृद्धि एवं विकास के लिए इष्टतम तापक्रम 15- 25 डि से के मध्य होना चाहिए। अक्टूबर से मार्च तक, लम्बी रात्रि तथा चमकीले छोटे दिन आलू बनने और बढ़ने के लिए अच्छे होते है। बदली भरे दिन, वर्षा तथा उच्च आर्द्रता का मौसम आलू की फसल में फफूँद व बैक्टीरिया जनित रोगों को फैलाने के लिए अनुकूल दशायें हैं।
आलू की खेती कैसे करे – Aloo ki kheti Potato farming in hindi
भूमि (soil and soil temperature) –
मिटटी का P H मान 5.2 से 6.5 अत्यंत उपयुक्त पाया गया है आलू को क्षारीय मृदा के अलावा सभी प्रकार के मृदाओ में उगाया जा सकता है परन्तु जीवांश युक्त रेतीली दोमट या सिल्टी दोमट भूमि इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम है।
आलू की उन्नत किस्मे (Improved variety)
1 कुफरी अलंकार: यह किस्म भी प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल उपज होती है।
2 कुफरी चंद्र मुखी
3 कुफरी नवताल जी 2524
4 ई 4486 – 135 दिन में तैयार होने वाली फसल की इस किस्म में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज तैयार होती है। यह किस्म हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और मध्य प्रदेश के लिए अधिक उपयोगी है।
आलू की खेती कैसे करे – Aloo ki kheti Potato farming in hindi
खरपतवार नियंत्रण (How to control weed in potato) –
के रासायनिक नियंत्रण के लिए पेंडामेथलिन 30% का 3.3 लीटर मात्रा का 100 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 1-2 दिन बाद तक छिडकाव कर देना चाहिए I
कीट नियंत्रण (how to pest control in potato ) –
बुवाई से पहले 3% बोरिक एसिड के घोल में 30 मिनट तक उपचारित करना चाहिए I इस रोग के लक्षण पत्तियों में हलके पीले धब्बे दिखाई देते हैं पत्तियों के निचले भाग पर इन धब्बो में अंगूठी नुमा सफेद फफूंदी आ जाती है, इस रोग के नियंत्रण के लिए प्रतिरोधी किस्मो की बुवाई करनी चाहिए, फसल में लक्षण दिखाई देने के पूर्व मैन्कोजेब 0.2% का घोल बना कर छिडकाव8-10 दिन के अन्तराल पर करते रहना चाहिए, फसल में भयंकर प्रकोप होने पर मेटालेक्सिल युक्त दवाओं में 0.25 % के घोल का 1-2 बार छिडकाव करना अति आवश्यक है।
आलू की खेती कैसे करे – Aloo ki kheti Potato farming in hindi