amrud ki kheti – अमरूद की खेती भारत के लगभग हर राज्य में अमरूद उगाया जाता है, परन्तु मुख्य राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और आन्ध्रप्रदेश हैं | उत्तर प्रदेश में अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है । अमरूद पोषक तत्वों का भंडार है । इसलिए इसे ग़रीबों का सेब (apple of poor) भी कहा जाता है । कुछ किसान देशी अमरूद की खेती छोड़ उन्नत क़िस्मों को अपनाकर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं । अमरूद की खेती की जानकारी खेती किसानी में दी जा रही है । वैज्ञानिक विधि से अमरूद की उन्नत खेती करके आप एक सीजन में लाखों रुपए का मुनाफ़ा कमा सकते हैं । अमरूद की खेती को अमीर होने की ट्रिक भी कह सकते हैं ।
amrud ki kheti – Guava farming millionaire
अमरूद की खेती से बने करोड़पति

Dhandaneeraj13@gmail.com, इसका पौधा अमरूद की यह प्रजाति वैसे तो थाईलैंड से आई है। यहां अभी इसकी पौध मिलती है। इसे आप डायरेक्ट VNR की नर्सरी से खरीद सकते हैं। कंपनी की वेबसाइट पर रेट सहित इसकी पूरी जानकारी दी गई है। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, अगर आप 1 से 10 पौधे लेते हैं तो प्रति पौधा इसकी कीमत 330 रुपए है। पौधों की गिनती बढ़ने पर रेट कम हो जाते हैं। इस लिंक पर आप ये डिटेल चेक कर सकते हैं – http://www.vnrnursery.in/booking-procedure/ एक पेड़ से दूसरे पेड़ के बीच में 12 फुट सामने और आठ फुट की दूरी पर बगल में होनी चाहिए।
बागवानी की सफलता के मूल मंत्र जाने
पौधों में जब फल आते हैं उस समय देखरेख सबसे ज्यादा करनी होती है। जहां पर एक साथ कई फसल होते हैं उसमें से सिर्फ एक फल ही रखा जाता है बाकी सभी फलों को तोड़ कर फेक दिया जाता है। जब फसल थोड़े बड़े हो जाते हैं तो उनकी बैगिंग करनी होती है, जिसमें हर फल पर 5 से 7 रुपए का खर्च आता है।” सुभाष बताते हैं कि फलों की बैगिंग इस लिए करते है ताकि फलों पर दाग न पड़ें पक्षी नुकसान न पहुंचाए। बैगिंग करने से फल पूरी तरह से सुरक्षित रहता है।
Make guava farming your primary business
amrud ki kheti – अमरूद की खेती को बनाएँ अपना प्राइमरी बिजनेस
अमरूद की वैज्ञानिक विधि से खेती करने से परंपरागत अमरूद की खेती की अपेक्षा दुगुना उत्पादन मिलता है । एक किसान हैं जिन्होंने ताइवान अमरूद की सघन खेती करते हैं । और 150-250 रुपए प्रति किलोग्राम अमरूद बेचते हैं । वहीं मध्य प्रदेश के एक किसान हैं जो थाई ग्वावा की खेती की करते हैं । अमरूद की अच्छी ख़ासी पैदावार प्राप्त करते हैं । उनके उगाए अमरूद 100-150 रुपए प्रति किलो बिकते हैं । मध्य प्रदेश के ही नीरज नाम के एक किसान हैं जो VNR VIHI नामक अमरूद की किस्म से ख़ास मुनाफ़ा कमाते हैं । उन्होंने जंबो अमरूद की खेती के बिजनेस के लिए इंजीनियरिंग की नौकरी तक छोड़ दी । अब घर बैठे लाखों रुपए अमरूद की खेती व अमरूद की खेती की ट्रेनिंग देकर कमाते हैं ।अमरूद को ऑनलाइन सेल भी हैं । 1 किलो 600 ग्राम में तीन अमरूद आते हैं जिसे वह 555 रुपए के ऑनलाइन बेचते हैं । अब तो आप समझ गये होंगे की अमरूद की खेती के बिजनेस का कितना बड़ा स्कोप है ।
Guava is a store of nutrients – guava is called apple of the poor
पोषक तत्वों का भंडार है अमरूद – ग़रीबों का सेब कहलाता है अमरूद
अमरूद खाने में मीठा व खट्टापन लिए होता है । बच्चे बूढ़े सभी बड़े चाव से खाते हैं । अमरूद में शरीर के वृद्धि व विकास के लिए अभी ज़रूरी पोषक तत्व व खनिज लवण पाए जाते हैं । अमरूद में प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, शुगर, फ़ाइबर, वसा, विटामिन A, विटामिन B1,B2,B3, B5,B6,B9, विटामिन C, v विटामिन K, तथा माईक़्रो न्यूट्रीशन केल्सियम, मैग्निशियम,मैगनीज,व सोडियम, पोटेशियम आदि पाए जाते हैं । अमरूद खाने वाले स्वस्थ रहते हैं ।
Complete knowledge of guava cultivation through advanced and scientific methods
अमरूद की उन्नत व वैज्ञानिक तरीक़े से खेती की पूरी जानकारी –
वैज्ञानिक तरीक़े से अमरूद की खेती करने से ही आपको सबसे अधिक लाभ मिलेगा । स्टेप बाई स्टेप अमरूद की खेती की जानकारी दी जाएगी । इसके लिए निम्न चरणों में कार्य करना होगा –
– amrud ki kheti के लिए भूमि की तैयारी
– जलवायु व तापमान
– उन्नत क़िस्में
– अमरूद के पौधे लगाने का समय
– अमरूद की नर्सरी व प्रवर्धन (वेनियर कलम व स्टूलिंग विधि सर्वाधिक उपयुक्त)
– Transplanting Guava – अमरूद की रोपाई करना
– अमरूद की बागवानी में खाद व उर्वरक
– सिंचाई का जल निकास प्रबंधन
– फसल सुरक्षा प्रबंधन –
– निराई गुड़ाई व खरपतवार की रोकथाम
– कीट व बीमारियों की रोकथाम
– अमरूद में फूलने व फलने का समय
– अमरूद के फलों की देखभाल व बैगिंग करना ।
– फलों की तुड़ाई
– उपज
Climate and temperature of guava cultivation
अमरूद की खेती के जलवायु व तापमान
अमरूद विभिन्न प्रकार की जलवायु में असानी से उगाया जा सकता है| जिन इलाक़ों में अधिक गर्मी व अधिक ठंडी होती है वहाँ पर अमरूद की खेती अच्छी होती है । अमरूद के फलों का स्वाद बेहतर होता है । अमरूद की खेती के लिए न्यूनतम 15 व अधिकतम 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अच्छा होता है । अमरूद के पौधों में अच्छी बढ़वार व फलन होती है । फलों की क्वालिटी अच्छी रहती है ।
Selection of land for guava cultivation
अमरूद की खेती के लिए भूमि का चयन
अमरूद एक ऐसा फल है, जिसकी बागवानी कम उपजाऊ और लवणीय परिस्थितियों में भी बहुत कम देख-भाल द्वारा आसानी से की जा सकती है| यद्यपि यह 4.5 से 9.5 पी एच मान वाली मिट्टी में पैदा किया जा सकता है| परन्तु इसकी सबसे अच्छी बागवानी दोमट मिट्टी में की जाती है| जिसका पी एच मान 5 से 7 के मध्य होता है|
Field preparation for guava farming
खेत की तैयारी
अमरूद की खेती के लिए पहली जुताई गहराई से करनी चाहिए| इसके साथ साथ दो जुताई देशी हल या अन्य स्रोत से कर के खेत को समतल और खरपतवार मुक्त कर लेना चाहिए| इसके बाद कम उपजाऊ भूमि में 5 X 5 मीटर और उपजाऊ भूमि में 6.5 X 6.5 मीटर की दूरी पर रोपाई हेतु पहले 60 सेंटीमीटर चौड़ाई, 60 सेंटीमीटर लम्बाई, 60 सेंटीमीटर गहराई के गड्ढे तैयार कर लेते है|
उन्नत प्रजातियाँ – Advanced species
सेब अमरूद – यह अमरूद सेब के आकार का होता है । इसके पेड़ों की पत्तियाँ जाड़ों में लाल रंग की हो जाती हैं ।
इलाहाबादी सफेदा – इस अमरूद की फल की सतह चिकनी, फल का आकार बड़ा व बीज कड़े होते हैं । छिलका पीला रंग होता है, गूदा मुलायम, व सफ़ेद व स्वाद में मीठा होता है । स्टोरेज क्षमता अन्य क़िस्मों के मुक़ाबले अच्छी होती है ।
करेला – इसे पियर सफ़ेद रंग का अमरूद भी कहा जाता है । छिलका खुरदुरा, व सफ़ेद होता है । गूदा मीठा होता है ।
चित्तीदार – इस अमरूद के फल की सतह पर लाल चक्कते होते हैं । फल छोटे, गोल व चिकने होते हैं । गूदा सफ़ेद मीठा व मुलायम होता है ।
बिना बीज का अमरूद – इस किस्म के अमरूद में बीज नही होते हैं । अन्य क़िस्मों के मुक़ाबले यह काम मीठा होता है ।
Prapogation and Planting of amrud ki kheti
अमरूद का प्रवर्धन व रोपण
पौधारोपण विधि amrud ki kheti हेतु पौधा रोपण का मुख्य समय जुलाई से अगस्त तक है| लेकिन जिन स्थानों में सिंचाई की सुविधा हो वहाँ पर पौधे फरवरी से मार्च में भी लगाये जा सकते हैं| बाग लगाने के लिये तैयार किये गये खेत में निश्चित दुरी पर 60 सेंटीमीटर चौड़ाई, 60 सेंटीमीटर लम्बाई, 60 सेंटीमीटर गहराई आकार के जो गड्ढे तैयार किये गये है|
उन गड्ढों को 25 से 30 किलोग्राम अच्छी तैयार गोबर की खाद, 500 ग्राम सुपर फॉस्फेट तथा 100 ग्राम मिथाईल पैराथियॉन पाऊडर को अच्छी तरह से मिट्टी में मिला कर पौधे लगाने के 15 से 20 दिन पहले भर दें और रोपण से पहले सिंचाई कर देते है।
Irrigation and drainage management in guava orchard/garden
अमरूद के बाग में सिंचाई व जल निकास प्रबंधन
पानी की कमी के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए । पेड़ों के आस पास 6 इंच ज़मीन खोदकर मिट्टी निकालकर उसके ढ़ेला बनाएँ । अगर ढ़ेला बन जाता है तो इसका मतलब यह हुआ की सिंचाई की ज़रूरत नही है । नए नए रोपण किए गये पौधे में 7 से 10 दिन में व पुराने बाग में 12- 15 दिन में सिंचाई करें ।
Manure and Fertilizer in Guava farming
अमरूद में खाद व उर्वरक –
अमरूद की खेती में पेड़ों को खाद व उर्वरक उनके आयु के अनुसार दिया जाता है । पहले साल में प्रति पेड़ N : P : K – 50 : 30 : 50 के अनुपात में दें । इसी क्रम में आने वाले सात साल तक – दुगुना,तिगुना, चौगुना—— करके बढ़ाते जाएँ । नीचे तालिका में वर्ष के अनुसार अमरूद की खेती में कितनी खाव व उर्वरक देना है दर्शाया गया है । सात वें साल N : P : K – 350 : 210 : 350 ग्राम प्रति पौधा दें । फ़ोस्फोरस की पूरी मात्रा पेड़ों के चारों ओर 30 सेमी नली बनाकर दें । नाइट्रोजन व पोटाश की मात्रा पेड़ों के फैलाव में चारों ओर छिड़ककर दें ।
पौधों की आयु (वर्षों में) | गोबर खाद(कि.ग्रा.) | नत्रजन (ग्राम) | स्फुर(ग्राम) | पोटाश (ग्राम) |
1 | 10 | 50 | 30 | 50 |
2 | 20 | 100 | 60 | 100 |
3 | 30 | 150 | 90 | 150 |
4 | 40 | 200 | 120 | 200 |
5 | 50 | 250 | 150 | 250 |
6 साल से ऊपर | 60 | 300 | 180 | 300 |
उपरोक्त खाद एवं उर्वरकों के अतिरिक्त 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट, 0.4 प्रतिशत बोरिक ऐसिड एवं 0.4 प्रतिशत कॉपर सल्फेट का छिड़काव फूल आने के पहले करने से पौधों की वृद्धि एवं उत्पादन बढ़ाने में सफलता मिलेगी।
Symptoms of micronutrient deficiency in guava cultivation
अमरूद की खेती में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण –
आमतौर पर अमरूद में जिंक या बोरॉन की कमी देखी जाती है|
जिंक-
– जिंक की कमी से ग्रसित पौधों की बढ़त रुक जाती है, टहनियाँ ऊपर से सूखने लगती हैं, कम फूल बनते हैं और फल फट जाते हैं –
– सर्दी व वर्षा ऋतु में फूल आने के 10 से 15 दिन पहले मृदा में 800 ग्राम जिंक सल्फेट प्रति पौधा डालना चाहिए|
– फूल खिलने से पहले दो बार 15 दिनों के अन्तराल पर 0.3 से 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का छिड़काव किया जाना चाहिए|
बोरॉन-
– फलों का आकार छोटा रह जाता है और पत्तियों का गिरना आरम्भ हो जाता है|
– अधिक कमी होने से फल फटने लगते हैं|
– पौधे में बोरॉन की कमी होने पर शर्करा का परिवहन कम हो जाता है और कोशिकाएँ टूटने लगती हैं|
– गुजरात व राजस्थान में नयी पत्तियों पर लाल धब्बे पड़ जाते हैं, जिसे फैटियो रोग कहा जाता है|
– फूल आने के पहले 0.3 से 0.4 प्रतिशत बोरिक अम्ल का छिड़काव करना चाहिए|
– फल की अच्छी गुणवत्ता के लिए 0.5 प्रतिशत बोरेक्स (गर्म पानी में घोलने के बाद) का जुलाई से अगस्त में छिड़काव करना लाभदायक है,इससे फलों में गुणवत्ता आती है|
Weeding prevention and weed prevention
निराई गुड़ाई व खरपतवार की रोकथाम
अमरूद के पौधों के चारों ओर फावड़े से थाला बना दें । अनावश्यक उग आए खरपतवारों को उखाड़ कर मवेशियों के चारे के रूप में खिला दें । अनरगल उगे खरपतवार पौधे के पोषक तत्वों को शोषित करते रहते हैं । इन खरपतवारों के नष्ट हो जाने से पोषक तत्व डायरेक्ट पौधे को मिलते हैं । जिससे पौधे में अच्छी बढ़वार होती है ।कटाई-छंटाई एवं सधाईजड़ के पास निकलने वाली शाखाओं को हटाते रहना चाहिए । बरसात के समय अनावश्यक शाखाओं को काट दें। अफलन व रोगी डालियों को निकाल दें । कटे हुए डालियों पर कवकनाशी का लेप कर दें । अमरूद के पेड़ों में फलन आरम्भ हो जाए । बांस के लट्ठों से सधाई कर दें । आँधी तूफ़ान के कारण व फलों के वजन से डालियाँ ना टूट जाएँ । फलों की गुणवत्ता के लिए बैग्स में भी भर देना चाहिए । इससे फल डालियों व पत्तों के रगड़ में ख़राब नही होते । फलों की क्वालिटी बढ़िया रहती है ।
Guava produce from horticulture – अमरूद की बागवानी से उपज
अमरूद की नई उन्नत क़िस्मों कलमी पौधे से 300-350 किलो ग्राम/प्रति पौधा फल प्राप्त होते हैं । इसके अलावा बीज द्वारा तैयार बाग से 90 किलोग्राम / प्रति पौधा फल प्राप्त होते हैं ।
very nice information