सेव की खेती वैज्ञानिक तरीके से कैसे करें हिंदी में पूरी जानकारी पढ़ें Apple farming in hindi

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सेव की खेती वैज्ञानिक तरीके से कैसे करें हिंदी में पूरी जानकारी पढ़ें Apple farming in hindi
सेव की खेती वैज्ञानिक तरीके से कैसे करें हिंदी में पूरी जानकारी पढ़ें Apple farming in hindi

सेव की खेती

वानस्पतिक नामPyrus malus
कुल – Rosaceae
गुणसूत्रों की संख्या –
सेव का उद्भव स्थल – दक्षिणी – पश्चिमी एशिया के काला सागर,एवं कैस्पियन सागर में किसी शीतोष्ण भाग में । 

पोषक तत्व व उपयोग – 

सेव के बारे में कहा जाता है कि “An apple a day keeps the doctor away” मतलब रोज एक सेब खाने से आपको डॉक्टर की आवश्यकता नही पड़ती ।
यह फल विटामिन बी,विटामिन सी व खनिज लवणों से भरपूर है । यह फल हृदय,मस्तिष्क व जिगर के रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है । हमारे देश में सेव को फल के रूप में खाने के अलावा चटनी,मुरब्बा,जैम,जेली,अचार आदि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है ।

जलवायु :

सेव एक शीतोष्ण जलवायु का पौधा है । देश में इसकी बागवानी समुद्र तल से 1800 -2700 मीटर ऊंचाई तक की जाती है । 70 से 200 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी बागवानी से अधिकतम उपज प्राप्त की जाती है।सेब के पेड़ को समुचित विकास व पुष्पन व फलन के लिए न्यूनतम 5C व अधिकतम 20C तापमान की आवश्यकता होती है ।

भूमि का चयन :

सेब की बागवानी के लिए उचित जल निकास वाली क्ले दोमट भूमि उपयुक्त रहती है । सेब के पौधों के उचित विकास व बढ़वार के लिए थोड़ी अम्लीय व गहरी होनी चाहिए

सेब की उन्नत किस्में –

अगेती किस्में – फैनी,अर्ली शेनबरी,समर गोल्डन पिपिन
मध्यम किस्में – विंटर बैनाना,बैनोनी,
पछेती किस्में – डैलीशस,राइमर, येलो न्यूटन पिपिन,स्टर्नर पिपिन

सेब का प्रवर्धन :

हमारे देश में प्रवर्धन की कई विधियाँ है किंतु सेब का प्रवर्धन दो विधियों से ही किया जाता है –
कलम लगाकर (Grafting)
चश्मा लगाकर ( budding)

कलम लगाकर सेब के पौधे तैयार करना :

चश्मा बांधने अथवा कलम लगाने के लिए किसान भाई एक वर्षीय पौधे का चुनाव करें । सेब की कलम लगाने के लिए फरवरी मार्च का समय उपयुक्त होता है । 40 से 85 सेंटीमीटर की दूरी पर कलम लगाने के लिए उगाए जाने वाले पौधों की क्यारियों में आपस की दूरी रखें।  सितम्बर महीने में चश्मा बांधना अच्छा रहता है । व्यवसायिक बागवानी के लिए चश्मा बांधकर सेब के पौधे तैयार करना लाभकारी होता है ।

सेब से पौधे लगाना :

सेब लगाने के लिए 90×90 सेंटीमीटर गहरे व व्यास के 6 से 7 मीटर की दूरी में गड्ढे खोद लेने चाहिए । 15 से 18 किलोग्राम प्रति गड्ढा सड़ी गोबर की खाद व मिट्टी भरकर माह भर छोड़ देना  चाहिए । पौधों को फंफूदजनित रोगों से बचाने के लिए 150 ग्राम एल्ड्रिन धूल 10 प्रतिशत भी मिट्टी में मिला दें । रोपाई के पहले तैयार पौधों की जड़ों को फफूंदनाशी एगलाल,थायरम, अथवा कैप्टान से उपचारित कर लेना चाहिए ।

शाम के समय अथवा ठंडे मौसम में सेव से पौधे गड्ढे के बीचोबीच रोपना चाहिए । गड्ढे के खाली ऊपरी जगह को मिट्टी से भर देना दें तथा पौधे के चारो ओर थाला बना दें । पौधे की ओर ऊंचाई बनाते हुए मिट्टी चढ़ा दें । रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए । ध्यान रहे पानी पौधे के तने के संपर्क में न आये अन्यथा जड़ सड़न,तना सड़न रोग आदि का खतरा पनप सकता है ।

खाद व उर्वरक :

सेव में नीचे दिए तालिका के अनुसार खाद व उर्वरक देना चाहिए ।  खाद को फावड़े के द्वारा मिटटी में अच्छी प्रकार से मिला देना चाहिए ।फॉस्फोरस को 10 सेंटीमीटर की गहराई पर करना चाहिये ।

पेड़ की उम्र गोबर की खाद नाइट्रोजन फॉस्फोरस पोटाश हड्डी का चूरा राख
1 10 30 25 50 1 4
2 20 60 50 100 2 8
3 30 90 75 150 3 12
4 40 120 100 200 4 16
5 50 150 125 250 5 20
6 60 180 150 300 6 24
7 70 210 175 350 7 28
8 80 240 200 400 8 32
9 90 270 225 450 9 36
10 100 300 250 500 10 40

पौधे की देखभाल, निराई-गुड़ाई व खरपतवार नियंत्रण :

सेब के पौधे सीधे रहे इसके लिए आरम्भ में भी लकड़ी के सहारे स्टेपनी से बांध दें । किसान भाई थालों में उगी घास खरपतवारों को नियमित रूप से निराई गुड़ाई कर निकाल दें । एक अनुसंधान संस्थान द्वारा किये गए रिसर्च के परिणाम के अनुसार थालों को पत्तियों से ढकने पर अधिक उपज प्राप्त होती है।

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सिंचाई व जल प्रबंधन –

सेब के पौधों में बसन्त काल व ग्रीष्मकाल में सिंचाई की आवश्यकता होती है । 7 से 10 दिन के अंतर नियमित रूप से सिंचाई करना चाहिए । वैसे सेब 60 से200 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में एक बार पौधा लग जाने पर सिंचाई की न में बराबर ही आवश्यकता होती है ।

सेब के पौधे की कटाई छँटाई :

सेब के पेड़ से अच्छा फलन लेने के लिए सेब के पेड़ का आकार सही होना अति आवश्यक है ।  इसके लिए शुरुआत से प्रयास करना शूरू कर देना  चाहिए । सेब के पेड़ को आकार देने के लिए मोडिफाइड लीडर विधि उत्तम मानी जाती है । सेब का पेड़ लग जाने के बाद उसे 70 से 85 सेंटीमीटर ऊंचाई से काट देना चाहिए ।

इस विधि के अनुसार पेड़ का मुख्य तने को छोड़कर उसके चारों ओर से 6 से 8 शाखाओं के चुनाव कर लेना चाहिए । ध्यान रहे एक शाखा से दूसरी शाखा के मध्य 20 से 30 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए । इस प्रक्रिया में 3 से 4 साल तक लग जाते हैं । जब सभी शाखाएं विकसित हो जाएं मुख्य शाखा को तने से काट कर अलग कर दें बस इतना ध्यान दें । कि वह तने से सटी हुई न हो । जब भी किसान भाई छँटाई करें इन शाखाओं के सिरे न निकालें ।

सेब के पेड़ की कटाई छँटाई करते समय किसान भाई ध्यान दें कि कटाई हमेशा पेड़ के ऊपरी भाग से आरम्भ कर भीतरी भाग की तरफ करें ।छटाई करते समय रोग ग्रसित व सूखी टहनियों को भी काटें । अधिक घनी शाखाओं को भी काटें।  कटाई छँटाई का काम जाड़ों में करें 

पुष्पन व फलन के समय देखभाल –

सेब में पुष्पन फरवरी-मार्च में होता है । साथ ही विभिन्न किस्मों के अनुसारअगस्त से अक्टूबर तक सेब के फल पकने लगते हैं। सेब के फल समय से पहले न गिरे इसके लिए थालों में पर्याप्त नमी रखना चाहिये । साथ ही बोरान व मैग्नीशियम की समुचित मात्रा देनी चाहिए । फलों के शीघ्र गिराव रोकने में लिए अल्फा नेफ्थलीन एसिड (ANAA) 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए ।

सेब के फलों की तुड़ाई –

जैसे ही फल पूर्ण विकसित,सुड़ौल व परिपक्व हो जाये । बिना विलम्ब किये किसान भाई फलों को डंठल सहित तोड़ें । साथ ही ध्यान रखें कि फल तोड़ते समय चोटिल न हों ।

फलों का भंडारण :

सेब के फलों को शीत गृह में 0० से 1.70 C तापमान में भंडारित कर दें ।

उपज –

मैदानी भागों में – प्रति पेड़ 80 से 110 किलोग्राम यानी 200 से 250 कुन्तल
पहाड़ी भागों में – प्रति पेड़200-300 किलोग्राम यानी 500 से 600 कुन्तल