गाजर घास पारथेनियम का रासायनिक नियंत्रण कैसे करें ? (Carrot grass parathium chemical control method in hindi) –
गाजर घास पारथेनियम का रासायनिक नियंत्रण-
पारथेनियम गाजर घास का प्रकोप मुख्यतः सड़कों के किनारे तथा बेकार भूमियों में होता है। परन्तुकहीं-कहीं खेती की जाने वाली भूमियों में विभिन्न फसलों के साथ उगते दिखाई देते है।
गाजर घास के सम्पर्क में आने पर मनुष्यों में चर्म रोग, दमा,क्षय रोग, सूजन आदि रोगहो जाते है। पशुओं में भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। गाजर घास एक राष्ट्रीय समस्याहै जिसका नियंत्रण करना नितांत आवश्यक है।
इसके नियंत्रण हेतु पैराक्वाट 24 प्रतिशत एस.एल. की 4-5 लीटर प्रति हे० मात्रा को 700-800 लीटर में पानी में घोलकर अथवा ग्लाइफोसेट 4 प्रतिशत एसएल की 4-5 लीटर प्रति हे० मात्राअथवा 2-4 डी सोडियम लवण 80 प्रतिशत डब्लू.पी. की 1.0 किग्रा० प्रति हे० मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर गाजर घास के पौधों में फूल आने से पहले छिड़काव करना चाहिए। गाजरघास के जमाव से पूर्व एट्राजिन 50 प्रतिशत डब्लू. पी. को 2-3 किलोग्राम प्रति हे० मात्राका 500-600 लीटर पानी में घोलकर खाली भूमि में छिड़काव करने से इसका जमाव ही नहीं होताहै।
गाजर घास के नियंत्रण के लिएजाइगोग्रामा, वाइकोलोराटाकीट काफी प्रभावीपाया गया है। इस कीट को जुलाई-अगस्त के महीने में पौधों पर छोड़ने से उनको खाकर पूरीतरह नष्ट कर देते है। इस कीट के बारे में नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमार गंज के कीट विज्ञान विभाग एवं राष्ट्रीय खरपतवार विज्ञान शोध केन्द्र, आधारताल, जबलपुर (म.प्र.) से अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
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