भारत देश मे लौंग को मसालों के रूप में प्रयोग की जाती है इसका मसालों के रूप मैं बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इसके अतिकित लोंग को आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी प्रयोग किया जाता है। लोग की परियों का तहसील बहुत गर्म होता है जिस कारण इसको ज्यादातर सर्दियों के मौसम में प्रयोग किया जाता है। सर्दियों के मौसम में लोगों को सर्दी जुखाम लगने पर इसके काढ़े को पीने से आराम मिलता है।
लौंग की उन्नत खेती की जानकारी | Cloves Advanced Farming Technology in Hindi
लौंग का पौधा एक सदाबहार पौधा है जिसको एक बार लगाने के बाद कई वर्ष तक पैदावार देता रहता है। इसके पौधे को पैदावार करने के लिए उसे कटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता पड़ती है।
लौंग की खेती हेतु मिट्टी का चयन | Soil Selection
भूले दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती भूमि में जलभराव रहता है उस स्थान पर नहीं की जा सकती लोंग की खेती करने के लिए सामान्य के ph 5-6 होना चाहिए।
जलवायु और तापमान
लौंग की खेती अधिक तेज गर्मी या अधिक तेज ठंड पड़ने के कारण इसके पौधों का विकास रुक जाता है। झूम की खेती करने के लिए छायादार जगह की आवश्यकता पड़ती है। सामान्य तापमान की जरूरत होती है लेकिन गर्मियों मैं इसकी खेती करने के लिए अधिक तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तथा सर्दियों में 15 डिग्री सेंटीग्रेड से पौधों का विकास कर सकता है।
खेती की तैयारी
लौंग का पौधा एक ऐसा पौधा है जो एक बार लगाने के बाद लगभग 100 वर्ष से 150 वर्ष तक पैदावार देता रहता है लेकिन उत्तम पैदावार 16 वर्ष की उम्र तक देता है इसको खेत में लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कराकर भूमि को समतल कर लेना चाहिए। जिसके कारण भूमि की मिट्टी बारीक एवं भुरभुरी बन जाए और खरपतवार भी नष्ट हो जाएं उसके बाद खेत में लगभग 15 से 20 फिट की दूरी छोड़ते हुए 1 मीटर व्यास डेढ़ से दो फीट की गहराई के गड्ढे तैयार कर देनी चाहिए। जैविक खाद एवं रसायन की उचित मात्रा को मिट्टी में मिला पर गड्ढे में भर देते हैं।
पौध तैयार करना
लौंग की खेती करने से पहले लौंग के बीज से पौधे तैयार से पौधे तैयार किए जाते हैं। जिसके लिए बीज को उपचारित कर लेना चाहिए बीज को नर्सरी में लगाने से पहले एक रात तक पानी में अच्छे से दो देना चाहिए उसके बाद इसके बीज की रोपाई नर्सरी में जैविक खाद के मिश्रण से तैयार की गई भूमि में 10 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए पंक्ति अनुसार करनी चाहिए।
लौंग के पौधे को तैयार होने में लगभग 2 साल के आसपास का समय लगता है लगभग फिर उसके 4 से 5 साल बाद पौधा फल देना शुरू करता है। लेकिन सभी किसान भाइयों को इसकी नर्सरी बाजार से खरीद कर ही खेत में लगानी चाहिए ऐसा करने से समय की बहुत ज्यादा बचत होती है। और पैदावार भी जल्द मिलने शुरू हो जाती है लेकिन इसकी नरसिंहपुर नर्सरी को खरीदते समय ध्यान रखें कि लगभग पौधा 4 फीट आसपास की लंबाई का हो और 2 साल पुराना भी होना चाहिए।
पौधों की रोपाई का समय और तरीका
लौंग के पौधे को तैयार किए गए गड्ढे में लगाया जाता है। पहले घंटे के बीचो-बीच की सहायता से एक छोटा गड्ढा तैयार कर लेना चाहिए, फिर इस गड्ढे में लॉन्ग के फायदे लगाना चाहिए पौधे को लगाने के बाद चारों ओर से मिट्टी से अच्छे से ढक देना चाहिए।
यादी वर्षा का आसार में हो तो रोपाई के तुरंत बाद पौधों की सिंचाई कर देनी चाहिए। गर्मियों के मौसम में लौंग के पौधे को अधिक सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। 1 सप्ताह में एक से दो बार पौधों की सिंचाई आवश्यक पर देनी चाहिए। और सर्दियों के मौसम में 15 से 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई आवश्यक कर दें।
खाद एवं उर्वरक
लौंग के पौधे को शुरूवात अवस्था में कम उर्वरक की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन (but) घंटा तैयार करते समय से अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद किलोग्राम एन पी के डाल दे।
इसके पौधों की वृद्धि के साथ साथ खाद एवं उर्वरक की मात्रा में भी वृद्धि करनी चाहिए। और पौधे को 40 से 50 किलोग्राम गोबर की खाद 1 किलोग्राम रसायन खाद की मात्रा लगभग 1 साल में तीन से चार बार आवश्यक खाद देने के बाद पौधों की सिंचाई कर देनी चाहिए।
फलों की तोड़ाई
लौंग के पौधे रोपाई के 4 से 5 वर्ष बाद पैदावार देना आरंभ करते हैं जिसमें पौधों पर फल घुटनों में लगता है जिसका रंग लाल गुलाबी रंग का होता है जिसको फूल खिलने से पहले ही तोड़ दिया जाता है इसके फल की लंबाई अधिकतम 2 सेंटीमीटर होती है जिस को सुखाने के बाद के रूप में प्रयोग किया जाता है।
पैदावार
एक पौधे से एक बार में 3 किलो के आसपास लॉन्ग प्राप्त की जा सकती है। लोंग का बाजार का भाव ₹700 से ₹1000, 1 किलोग्राम तक पाया जाता है। जिसके हिसाब से एक पौधे से एक बार में ढाई से 3000 तक की कमाई की जा सकती है।