अन्ना पशुओं, नीलगाय व जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा कैसे करें

Crop Protection From Wild Animal in Hindi- आजकल हमारे खेतों में जंगली जानवरों व अन्ना मवेशियों से फ़सलों को कैसे बचाएँ यह बड़ी समस्या बनता जा रहा है। जंगली जानवरों का अन्ना पशुओं का फ़सलों पर अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। किसान बड़े मेहनत व लागत से फ़सल उगाता है । अच्छी फ़सल के लिए क़र्ज़ तक लेकर बीज,खाद, दवाओं व सिंचाई का प्रबंध करता है । अन्ना जानवरों के कारण किसानों को बड़ा नुक़सान हो रहा है। इन मवेशियों के निजात के उपाय हर किसान जानना चाहता है ।

Crop Protection From Wild Animal in Hindi – How to save crops from Nilgai, wild animals and Anna animals

अन्ना पशुओं, नीलगाय व जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा कैसे करें
अन्ना पशुओं, नीलगाय व जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा कैसे करें
किसान इंटरनेट पर क्या search करता है एक नज़र ऊपर पर भी डाल लें –

– जंगली जानवरों से फ़सल को बचाने के रामबाण उपाय
– नीलगाय से खेतों को कैसे बचाएँ
– Nilgai – नीलगाय से फ़सल सुरक्षा कैसे करें
– नीलगाय से बचाव कैसे करें
– आवारा जानवरों से फ़सलों को कैसे बचाएँ
– गाय व गोवंश से खेतों की रक्षा कैसे करें
– जंगली सुअर से फ़सलों को कैसे बचाएँ
– अन्ना मवेशियों से फ़सल की रक्षा कैसे करें
– जंगली जानवरों के फ़सल सुरक्षा कैसे करें
– गाय व साँड़ से फ़सलों को कैसे बचाएँ

आज खेती किसानी में हम आपके लिए के लेकर आएँ हैं- जंगली जानवरों व अन्ना मवेशियों से फ़सलों को बचाने के अचूक उपाय – crop protection from wild animal

अनुक्रम – या एजेंडा

– फसल सुरक्षा प्रबंधन क्या है?
– कौन-कौन से पशु फसलों को नुक़सान पहुँचातें हैं ?
– जंगली जानवरों से किस तरह फ़सलों को बचा सकते है ?
– अन्ना मवेशियों व जंगली जानवरों से फ़सल सुरक्षा की कितनी विधियाँ है ?
– नीलगाय सहित जंगली जानवरों से फ़सल सुरक्षा की यांत्रिक विधि क्या है ?
– गोवंश व अन्ना जानवरों से खेतों को बचाने के लिए रासायनिक विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?
– जंगली जंगली जानवरों से फ़सलों को बचाने के लिए जैविक विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?

फसल सुरक्षा प्रबंधन क्या है?

फ़सलों को खरपतवार व रोगों व कीटों के साथ-साथ जंगली जानवरों से बचाने के लिए किए जाने वाले यांत्रिक, रासायनिक व जैविक क्रिया कलापों को फ़सल सुरक्षा प्रबंधन कहते हैं ।

फ़सल सुरक्षा प्रबंधन की विधियाँ अपनाने से पहले किसानों द्वारा विचार किए जाने वाले तथ्य-
अपनाए जाने वाले फ़सल सुरक्षा के उपाय बहुत प्रभावी हों
फ़सल सुरक्षा के लिए अपनाए जाने वाले उपाय बेहद मंहगे न हो यानी उनको किसान कम पैसे में अफ़ोर्ड कर सके ।
जंगली जानवरों के लिए अपनाए जाने वाले उपाय टिकाऊ हों
अन्ना मावेशियों से फ़सल रक्षा हेतु जो भी उपाय हों उनमें बहुत अधिक तकनीकी ज्ञान की ज़रूरत ना हो।

कौन-कौन से पशु फसलों को नुक़सान पहुँचातें हैं ?

हमारी फ़सल को छोटे बड़े कई तरह के जंतु व जानवर नुक़सान पहुँचाते हैं जैसे –
– चूहा
– ख़रगोश
– नेवला
– बंदर
– नीलगाय
– हिरन
– जंगली सुअर
– गाय/गोवंश/अन्ना मवेशी

ये जानवर हमारी फ़सलों को बहुत नुक़सान पहुँचाते हैं। जिनसे किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुक़सान होता है। जहाँ चूहा धान व गेहूँ की बालियों को कुतरते हैं तो वहीं बंदर व ख़रगोश सब्ज़ी वाली फ़सलों को नुक़सान पहुँचाते हैं। नीलगाय व अन्ना मवेशी झुंड के झुंड खेतों में घुसकर फ़सलों को उजाड़ देते हैं।किसान रात-रात भर खेतों में पहरा देते हैं। फिर भी फ़सलें नही बचतीं।

जंगली जानवरों से किस तरह फ़सलों को बचा सकते है – how to save crop from wild animals

अन्ना मवेशियों व जंगली जानवरों से फ़सल सुरक्षा की कितनी विधियाँ है ?

साथियों नीलगाय व अन्ना मवेशियों से अपनी फ़सलों को इन विधियों को अपनाकर बचा सकते हैं –
– फ़सल सुरक्षा की यांत्रिक विधियाँ
– फ़सल सुरक्षा प्रबंधन की रासायनिक विधियाँ
– पादप सुरक्षा की जैविक विधियाँ

नीलगाय सहित जंगली जानवरों से फ़सल सुरक्षा की यांत्रिक विधि क्या है ?

नीचे दी गयी यांत्रिक विधियों को अपनाकर हम अपनी फ़सलों को जंगली जानवरों व गाय साँड़ व अन्ना मवेशियों से बचा सकते हैं। इनमें कुछ जंगली जानवरों से खेतों को बचाने की ऐसी तकनीक शामिल हैं। जो बेहद सस्ती व प्रभावकारी हैं। इनको अपनाने पर बात अधिक लागत नही आती । आप थोड़े से ख़र्च में नीलगाय व जंगली जानवरों से छुटकारा पा सकते हैं –
– खेत के किनारे बाँस या यूकेलिप्टस के लट्ठे से बाड़ लगाकर
– Cut the wire from the fields- खेतों से किनारे कटीलें तार बाँधकर
– खेतों के किनारे चहारदीवारी बनाकर
– Digging deep trenches around fields- खेतों के चारों ओर गहरी खाई खोदकर
– खेतों के चारों ओर कटीलें पौधे जैसे – नागफ़नी व कैक्ट्स, बबूल के पौधे लगाकर
– खेतों के किनारे करौंदा,जैट्रोफ़ा, जीरेनियम, मेंथा, सिट्रोनेला, मेंहदी, पमारोज़ा के पौधे लगाकर
– Making man’s mannequin in the field- खेत में आदमी का पुतला बनाकर
– खेत में राम में मिट्टी के तेल की ढिबरी जलाकर
– By tying bright foil on the side of the field- खेत के किनारे चमकीली पन्नी बाँधकर
खेत के किनारे चमकीली साड़ी बाँधकर

जंगली जानवरों को खेतों से भगाने के लिए रासायनिक विधियाँ –जंगली जानवरों को रासायनिक विधि को अपनाकर किसान भाई भगा सकते हैं। इसके लिए 1 ढक्कन फिनायल को प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर खेत में छिड़क दें। जब तक फिनायल की गंध रहेगी जानवर आपके खेत पर नही आएँगे।

जंगली जानवरों व अन्ना मवेशियों से फ़सलों के बचाव के लिए अपनायी जाने वाली जैविक विधियाँ –

– इस हर्बल घोल की गंध से खेत में नही आएगी नीलगाय
– नील गाय से बचाव में कारगर है ये हर्बल घोल
किसान भाई अब आपको जो हर्बल घोल बनाने का तरीक़ा बताने जा रहे हैं ये बड़ा असरदार है। इस घोल से एक गंध निकलती है। जिसके कारण नीलगाय व अन्ना मवेशी आपके खेत में दो-तीन हफ़्ते तक तो नही आएगी इस बात की गारंटी है ।

साथ ही इस हर्बल घोल को बनाने में कुछ ख़ास ख़र्च भी नही आता है। यह ज़ीरो कास्त वाला हर्बल घोल है। इसको बनाने में लगने वाली अधिकतर चीज़ें आप सबके घर में ही मिल जायेंगी –

नीलगाय से फ़सलों के बचाव हेतु हर्बल घोल बनाने के लिए सामग्री –

– 04 लीटर – मट्ठा
– 500 ग्राम (आधा किलो) – छिला हुआ लहसुन
– 500 ग्राम – बालू

नीलगाय से बचाव हेतु हर्बल घोल बनाने का तरीक़ा –

किसी मटके में मट्ठा डालें। उस मट्ठे में पिसी हुई लहसुन व बालू को किसी डंडे से अच्छी तरह मिलाकर मिश्रण बना लें। मिश्रण को एक सप्ताह बाद फ़सल पर प्रयोग करें।

गाय, साँड़ व गोवंश तथा अन्ना मवेशी से बचाव हेतु हर्बल घोल के इस्तेमाल का तरीक़ा –

किसान भाइयों तैयार हर्बल घोल को स्प्रेयर्स के इस्तेमाल से पूरे खेत में छिड़काव करें। इस घोल के छिड़काव से फ़सल के पौधों से एक प्रकार की गंध आने लगेगी। जिससे नीलगाय, जंगली जानवर, गाय, साँड़ व अन्ना मवेशी आपके खेत से दूरी बना लेंगे । आमतौर पर दो से तीन सप्ताह के लिए इनसे मुक्ति मिल जाएगी।

नीलगाय से फ़सलों के बचाव का रामबाण हर्बल घोल बनाने का तरीक़ा –

अब जो हर्बल घोल बनाने का तरीक़ा आपको बताने जा रहे हैं । इस घोल के प्रयोग से 1 माह तक कोई भी जानवर आपके खेत में नही आएगा। इस हर्बल घोल को बनाने में भी आपको कोई लागत नही लगनी पड़ेगी । नीलगाय से बचाव हेतु इस हर्बल घोल को बनाने में लगने वाली सामग्री आपके घर व आस-पास में मौजूद है । इसलिए आप बस थोड़ी सी मेहनत से अपने खेतों में जंगली जानवरों व गोवंश अन्ना मवेशियों के छुटकारा पा सकते हैं।

तो चलिए जानते हैं 1 महीने तक नीलगाय को खेत से बचाने वाले हर्बल घोल को बनाने का तरीक़ा –

हर्बल घोल बनाने के लिए आवश्यक सामग्री –

– 05 किलो ग्राम – नीम की पत्ती
– 20 लीटर – गोमूत्र
– 02 किलो ग्राम – धतूरा
– 02 किलो ग्राम – मदार(जड़,पत्ती,फूल,फल)
– 200 ग्राम- लाल मिर्च पाउडर
– 500 ग्राम तम्बाकू

नीलगाय व अन्ना मवेशी से फ़सल सुरक्षा हेतु रामबाण हर्बल घोल बनाने की विधि –

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सबसे पहले मिर्ची पाउडर को किसी ऐयरटाइट डिब्बे में भरकर 20 दिन तक धूप में रख दें।
एक बड़ा सा मटका या बरतन लें उसमें गोमूत्र को डाल दें। अब नीम की पत्ती, मदार व तम्बाकू सभी को मटके में डाल दें । इसे किसी डंडे से हिलाकर अच्छे से मिला दें। अब 20 दिनों तक इसे छोड़ दें। यह हर्बल दवा बनकर तैयार हो जाएगी।

नीलगाय व अन्ना मवेशी से फ़सल सुरक्षा हेतु रामबाण हर्बल घोल के उपयोग की विधि –

20 दिन बाद जब हर्बल घोल उपयोग के लायक तैयार हो जाए। इसे घोल की 1 लीटर मात्रा को 80 लीटर पानी में मिलाकर फ़सल पर स्प्रेयर से छिड़काव करें । इस घोल के प्रभाव से एक महीना तक नील गाय सहित कोई जानवर आपके खेत में नही आएगा।

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