वनस्पति परिचय ( Botanical introduction)
फ़्रेंच चमेली की खेती कैसे करें ? – French Chameli ki kheti in hindi
- श्रेणी (Category) सगंधीय
- समूह (Group) : कृषि योग्य
- वनस्पति का प्रकार : लता
- वैज्ञानिक नाम : जस्मिनम पोल्यान्थुम
- सामान्य नाम : फ्रेंच चमेली
- कुल : ओलेऐसी
- आर्डर : लेमीलेस
- प्रजातियां :
जे. पोलायन्थम
उत्पति और वितरण origin and distribution :
यह मूल रूप से चीन का पौधा है। इसे गुलाबी चमेली भी कहते है। यह तेजी से बढ़ने वाली सदाबहार बेल है। यह पूर्वी आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के कुछ भागों मे भी पाई जाती है। अब इसकी खेती भारत में भी की जाती है। यह सदाबहार और सगंधीय पौधा है। इसे विन्टर चमेली, पिंक चेमली, पिंकविन्टर और कभी–कभी चीनी सदाबहार के नाम से भी जाना जाता है। यह 120 फीट से अधिक तक की ऊंचाई तक उग सकती है। इसके असंख्य और तीक्ष्ण सुगंधित फूल शीत ऋतु और कभी–कभी बंसत ऋतु में आते है। इसे यू. एस. ए और यूरोप में घर का पौधा के नाम से जाना जाता है। अच्छी जलवायु परिस्थितियो में इसे घर के बगीचे में भी उगाया जा सकता है।
उपयोग use :
सूखे फूलों का उपयोग चाय के लिए किया जाता है।
ताजे फूलों का उपयोग माला बनाने के लिए किया जाता है।
तेल का उपयोग इत्र और खाद्य साम्रगी में किया जाता है।
मुँह के अल्सर के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।
वायरल और जीवाणु संक्रमण के साथ – साथ कैंसर के लिए एक विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है।
स्वरूप :
यह सशक्त और तेजी से बढ़ने वाली बेल है।
यह एक नली की तरह पतली और लचीली होती है इसलिए इसे आसानी से मोडा़ जाता है।
पत्तिंया :
इसकी पत्तियाँ गहरे हरे रंग की होती है।
पत्तियाँ 7 पत्रकों में विभाजित रहती है।
फूल :
इसके फूल सुगन्धित होते है।
फ़्रेंच चमेली फूल शीत ऋतु और बंसत ऋतु के मध्य में आते है ।
फूल पतले होते है और पंखुडियो पर सितारे के समान आकृति होती है।
फूल आकार में 2 से.मी. के होते है।
परिपक्व ऊँचाई :
यह बेल 12-15 फुट की ऊंचाई तक बढ़ती है।
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जलवायु climate and weather :
यह उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है।
इसे औसतन कमरे के बराबर नमी की आवश्यकता होती है।
यह काफी हद तक द्दढ़ पौधा है जिसके कारण यह कम तापमान लगभग 800 तक जीवित रह सकता है।
भूमि selection of soil :
इसकी खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है।
नमी युक्त मिट्टी अच्छी जल निकसी के साथ उपयुक्त होती है।
9.5 pH मान वाली मिट्टी पौधे के लिए अच्छी होती है।
भूमि की तैयारी :
भूमि में मौजूद खरपतवार को हटाने के लिए 1 या दो बार जुताई की आवश्यकता होती है।
30 से.मी. आकार के गड्ढ़े खोदे जाते है।
इन गड्ढ़ो को FYM से भरा जाता है।
फसल पद्धति विवरण :
वंसत ऋतु में काटी गई कलम का उपयोग करना चाहिए जो न तो नई होती और न ही पुरानी।
कलम की निचली पत्तियों की छटाई कर देना चाहिए।
काटी गई कलमों को गड्ढ़ो में लगाया जाता है।
नर्सरी बिछौना-तैयारी (Bed-Preparation) :
एक अच्छी तरह से व्यवस्थित नर्सरी तैयार करना चाहिए।
नर्सरी के लिए सर्वश्रेष्ट समय सितम्बर माह का अंतिम समय और अक्टूबर माह का शुरूआती समय होता है।
कालमो को पालीथीन के थैलों में लगाना चाहिए।
6-8 सप्ताह के बाद पौधे प्रतिरोपण के लिए तैयार हो जाते है।
खाद व उर्वरक :
50-100 क्विंटल FYM भूमि की तैयारी के समय में मिलाना चाहिए।
फास्फोरस और पोटेशियम दो विभाजित खुरीकों में देना चाहिए।
वार्षिक छटाई के बाद एक बार और फिर जून और जुलाई के दौरान खुराक दी जाती है।
सिंचाई प्रबंधन :
नियमित रूप से सिंचाई करना चाहिए।
रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई की जाती है और इसे नियंत्रित रखा जाता है ताकि मृदा में नमी बराकरार रहे।
जल भराव की स्थिति से बचना चाहिए।
घसपात नियंत्रण प्रबंधन :
नियमित निंदाई पौधे के विकास के लिए आवश्यक होती है।
रोपाई के दो महीने के बाद निंदाई की आवश्यकता होती है।
तुडाई, फसल कटाई का समय :
फूल फरवरी-अप्रैल के महीने में आते है ।
जब दलपुंज धरती की ओर लटक जाते है तभी सही समय तुड़ाई का होता है।
10-15 दिनों के अंतराल से तुड़ाई की जाना चाहिए।
हम एक वर्ष में 4-5 बार तुड़ाई कर सकते है।
फ़्रेंच चमेली की खेती कैसे करें ? – French Chameli ki kheti in hindi हिंदी में पूरी जानकारी पढ़ें