संकर धान की खेती वैज्ञानिक तरीके से कैसे करें हिंदी में पूरी जानकारी (Profitable and Modern Farming of Hybrid Paddy in hindi )
वानस्पतिक नाम – oryza sativa
कुल – poaceae
गुणसूत्रों की संख्या – 24
संकर धान की खेती कैसे करें ? sankar dhan ki kheti kaise kare ?

पोषक मूल्य –
पोषक मूल्य व उपभोग – चावल में प्रोटीन 7.7,कार्बोहाइड्रेट 72.5,वसा-5.9,सेलूलोज 11.8 प्रतिशत पाया जाता है |
संकर धान का वितरण क्षेत्रफल व महत्व :
धान विश्व की तीन महत्वपूर्ण खाद्यान फसलों में से एक है जोकि 2.7 बिलियन लोगों का मुख्य भोजन है। इसकी खेती विश्व में लगभग 150 मिलियन हेक्टेयर एवं एशिया में 135 मिलियन हेक्टेयर में की जाती है। भारतवर्ष में लगभग 44 मिलियन हेक्टेयर तथा उत्तर प्रदेश में करीब 5.9 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती विभिन्न परिस्थितियों: सिंचित, असिंचित, जल प्लावित, असिंचित ऊसरीली एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में की जाती है। विभिन्न् परिस्थितियों अर्थात् अनुकूल सिंचित एवं विषम परिस्थितियों हेतु धान की उच्च उत्पादकता वाली संकर प्रजातियों के विकास पर बल दिये जाने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम संकर प्रजातियों के विकास का कार्यक्रम चीन में वर्ष 1964 में आरम्भ हुआ। पिछले 20 वर्षों के अथक प्रयासों के उपरान्त विकसित संकर प्रजातियों से सामान्य प्रजातियों के सापेक्ष 15-2 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त हो रहा है क्योंकि इनमें उपलब्ध संकर ओज एवं प्रभावी जड़तंत्र, सूखा, एवं मृदा लवणता के प्रति मध्यम स्तर का अवरोधी होता है। संकर प्रजातियों से कृषक कम क्षेत्रफल में सीमित संसाधनों से सफल विविधीकरण द्वारा अधिक उपज प्राप्त कर सकता है। भारतवर्ष में वर्तमान समय में लगभग 103 मिलियन हे० क्षेत्रफल संकर प्रजातियों द्वारा आच्छादित है। उत्तर प्रदेश मे खरीफ 2013-14 में कुल 13 लाख है क्षेत्रफल में संकर धान की खेती की जा रही है। प्रमुख संकर किस्मों का विवरण सारणी एक में दिया गया है।जिसमें उत्तर प्रदेश में खेती के लिए उपयुक्त संस्तुति प्रजातियों में नरेन्द्र संकर धान-2, पंत संकर धान-1, पंत संकर धान-2, प्रोएग्रो 6201, प्रोएग्रो 6444, पीएचबी 71 तथा पूसा आरएच 10 (सुगन्धित) गंगा, नरेन्द्र Åसर धान-3, सहयाद्री-4, एच०आर०आई०-157, डी०आर०आर०एच०-3 और यू०एस०-312 प्रमुख है।
जलवायु व तापमान :
धान का पौधा एक गर्म व नम जलवायु का पौधा है | इसके पौधे के वृद्धि व विकास के लिए 21 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है |इसकी फसल 50 से 500 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जाती है |
संकर धान की खेती हेतु उन्नत किस्में :
ज्ञातव्य है कि संकर किस्में दो विभिन्न आनुवांशिक गुणों वाली प्रजातियों के नर एवं मादा के संयोग/संसर्ग/संकरण से विकसित की जाती है इनमें पहली सीढ़ी का ही बीज नई किस्म के रूप में प्रयोग किया जाता है क्योंकि पहली सीढ़ी में एक विलक्षण ओज क्षमता पायी जाती है जो सर्वोत्तम सामान्य किस्मों की तुलना में अधिक उपज देने में सक्षम होती है ध्यान रहे कि अगली पीढ़ी में उनके संकलित गुण विघटित हो जाने के कारण ओज क्षमता में बहुत ह्त्रास होता है तथा पैदावार कम हो जाती है। परिणामतः संकर बीज किसानों को हर साल खरीदना पड़ता है।
संकर धान की उन्नत क़िस्में विवरण सहित –
क्रम संख्या |
संकर/विकसित वर्ष |
पकने की अवधि |
औसत पैदावार |
संस्तुति राज्य |
1 | के0आर0-(1996) | 130-135 दिन | 7.4 | आन्ध्रदेश, कर्नाटक,तमिलनाडु, त्रिपुरा, उ०प्र०, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तरांचल एवं राजस्थान |
2 | पन्त संकर धान-1 (1997) | 115-120 दिन | 6.8 | उत्तर प्रदेश |
3 | नरेन्द्र संकर धान-2 (1998) | 125-130 दिन | 6.15 | उत्तर प्रदेश |
4 | पी०एच०बी०-71 (1997) | 130-135 दिन | 7.86 | हरियाणा, उत्तर प्रदेश,तमिलनाडु |
5 | प्रो एग्रो०-6201 (2000) एराइज | 125-130 दिन | 6.18 | पूर्वी राज्यों, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु, उ०प्र० |
6 | प्रो एग्रो-6444 (2001) एराइज | 135-140 दिन | 6.11 | उ०प्र०,बिहार,त्रिपुरा, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, |
7 | पी०ए०सी० 835, 837 | 120-130 दिन | 6.5 | पूर्वी उ०प्र० |
8 | पूसा आर०एच०-10(2001)+ | 120-125 दिन | 4.35 | हरियाणा, पंजाब,दिल्ली, प० उ०प्र० |
9 | गंगा | 125-130 दिन | 5.64 | उत्तरांचल, हरियाणा, पंजाब, उ०प्र० |
10 | नरेन्द्र ऊसर संकर धान-3 (2004) | 130-135 दिन | 5.15 | उत्तर प्रदेश के ऊसर क्षेत्रों हेतु |
11 | सहयाद्री-4 (2008) | 113-118 दिन | 5.7 | महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब,उ०प्र०, पं० बंगाल |
12 | एच०आर०आई०-157 (2009) | 130-135 दिन | 6.51 | उ०प्र०,म०प्र०,बिहार,झारखण्ड,छत्तीसगढ़,
उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक,तमिलनाडु |
13 | डी०आर०आर०एच०-3 | 125-130 दिन | 6.07 | आन्ध्रप्रदेश,उड़ीसा, गुजरात,मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश |
14 | यू०एस०-312 | 125-130 दिन | 6.07 | तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, पं० बंगाल |
15 | वी०एस०आर०-202 | 130-135 दिन | 6.5 | उ०प्र०, उत्तराखण्ड, पं० बंगाल, महाराष्ट्र,तमिनाडु |
16 | आर०एच०-1531 | 125-130 दिन | 6.5 | म०प्र०, उ०प्र०, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक |
17 | एराइज प्राइमा | 126-130 दिन | 6.5 | पूर्वी उत्तर प्रदेश |
संकर प्रजातियों के रोग व कीट अवरोधी गुण
क्रम संख्या | धान की उन्नत/संकर क़िस्म | संकर प्रजातियों के रोग व कीट अवरोधी गुण |
1 | के०आर०एच०-1 | ब्लास्ट |
2 | डी०आर०आर०एच०-1 | ब्लास्ट |
3 | के०आर०एच०-2 | ब्लास्ट, शीथ राट |
4 | सहयाद्री | बैक्ट्रीरियल लीफ ब्लाइट |
5 | नरेन्द्र संकर धान-2 | ब्लास्ट,बैक्ट्रीरियल लीफ ब्लाइट, शीथ राट |
6 | पी०एच०बी०-71 | बैक्ट्रीरियल लीफ ब्लाइट, ब्लास्ट |
7 | प्रोएग्रो-6201 एराइज | ब्लास्ट बी०एल०बी०, सीथ राट |
8 | पूसा आर०एच०-10 | |
9 | बी०एल०बी०, ब्राउन प्लान्ट हॉपर | ब्लास्ट |
10 | आर०एच०-204 | – |
11 | बी०पी०एच० | – |
12 | डब्ल्यू०बी०पी०एच० | – |
संकर धान की खेती सामान्य किस्मों की तरह ही की जाती है। परीक्षणों से सिद्ध हो चुका है कि संकर प्रजातियां सामान्य प्रजातियों की तुलना में 10-12 कुन्तल/हेक्टेयर अधिक उपज देती है क्योंकि इनमें प्रति पौध बालियों तथा प्रति बाली दानों की संख्या अधिक होने के साथ-साथ विषम परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है।
भूमि का चयन –
समुचित सस्य प्रबन्ध संकर धान की पूर्ण उत्पादन क्षमता उपयोग के लिए अत्यन्त आवश्यक है। संकर धान की अच्छी फसल लेने हेतु दोमट या मटियार भूमि उपयुक्त होती है। इनमें पानी रोकने की क्षमता अधिक होती है।
भूमि की तैयारी – गर्मी में 250-300 कुंतल प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद पूरे खेत में फैलाकर देशी हल अथवा हैरो या कल्टीवेटर से 3 से 4 जुताइयाँ करने के पश्चात पटेला चलाकर भूमि को ढेले रहित व समतल बना लेना चाहिए |
संकर धान की बुवाई का समय –
जुलाई के प्रथम सप्ताह से अगस्त के अंतिम सप्ताह तक
बीज की मात्रा :
15-20 किग्रा० बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है जोकि सामान्य प्रजातियों की बीज दर का आधा है।
बीज का उपचारित करना –
शुष्क बीजों को 24 घण्टे पानी में भिगोने के बाद कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यू०पी० से 2 ग्राम/किग्रा० बीज की दर से उपचारित कीजिए। उपचारित बीजों को पक्के फर्श पर छांव में फैलाकर गीला बोरा तथा पुआल से ढ़क देना चाहिए तथा दिन में 2-3 बार पानी छिड़ककर नमी बनाये रखना चाहिए।जिससे बीज का अंकुरण अच्छी तरह हो सके।
नर्सरी प्रबन्धन – संकर धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार करना
संकर धान का नर्सरी प्रबन्धन अन्य अधिक उत्पादन देने वाली सामान्य प्रजातियों की तुलना से भिन्न होता है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में संकर धान रोपने हेतु 700 से 800 वर्गमीटर क्षेत्र की नर्सरी पर्याप्त होती है जोकि सामान्य धान के लिए भी वांछित है। ध्यान रहे कि संकर धान के बीज की मात्रा नर्सरी हेतु कम होने के बावजूद भी क्षेत्रफल घटाना उचित नहीं है। फलस्वरूप नर्सरी में पौधे बिरले रहते हैं तथा उनकी अच्छी वृद्धि होती है। नर्सरी की बुवाई से पूर्व 100 किग्रा० नत्रजन, 50 किग्रा० फास्फोरस एवं 50 किग्रा० पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालते है। नर्सरी में यदि जस्ता या लोहे की कमी के लक्षण दिखाई पड़े तो 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट एवं 0.2 प्रतिशत फेरस सल्फेट के घोल का छिड़काव करना वांछित है |
संकर धान की रोपाई करना –
25-30दिन उम्र के 2-3 कल्लों वाले एक से दो पौधों की रोपाई 2-3 सेमी० गहराई पर पंक्ति से पंक्ति 15 सेमी० की दूरी पर करना उचित रहता है।जिससे कम से कम 45-50 पूँजी प्रतिवर्ग मीटर अवश्य रहे। रोपाई से एक सप्ताह के अन्दर मरे हुए पौधों के स्थान पर उसी संकर प्रजाति के पौधों की रोपाई अवश्य करना चाहिए।
उर्वरक प्रबन्धन : संकर धान की फसल पर खाद व उर्वरक –
संकर धान की अच्छी पैदावार लेने के लिए 15 किग्रा० नत्रजन, 75 किग्रा० पोटाश एवं आवश्यकतानुसार 25 किग्रा० जस्ता प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। नत्रजन की आधी तथा फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई के समय तथा शेष नत्रजन मात्रा दो बराबर भागों में कल्ले निकलते समय तथा गोभ बनते समय देना चाहिए। जहां तक संभव हो उर्वरक की मात्रा भूमि का परीक्षण कराकर ही सुनिश्चित किया जाय तथा गोबर की 10-15 टन खाद या हरी खाद का प्रयोग किया जाय।
संकर धान में सिंचाई –
ध्यान रहे कि भूमि में नमी बराबर बनी रहे तथा दाना भरने की अवस्था में 5 सेमी० तक जल स्तर खेत में बनाये रखना लाभदायक होता है।
खरपतवार नियंत्रण :
रोपाई के एक सप्ताह के अन्दर ब्यूटाक्लोर 2.5 लीटर/हे० या एनीलोफास 1.25 लीटर/हे० की दर से 600-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें अथवा दो निकाई, रोपाई के 20 या 40 दिनों बाद करने से खरपतवार आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
धान की कटाई :
धान के पौधें में बालियाँ निकलने के करीब 30-40 दिन बाद बालियाँ पूरी तरह पक जाती हैं | धान के दानों को मुंह में रखकर काटने से कट की आवाज आती है तो समझ लेना चाहिए कि धान की फसल कटाई योग्य हो गयी है | धान के दानों में जब 20 प्रतिशत नमी रह जाए तब धान की कटाई करनी चाहिए | धान की छोटे क्षेत्रों में हसिया,दराती से तथा बड़े उत्पादक क्षेत्रों में कम्बाइन मशीन से कटाई करानी लेनी चाहिए |
संकर धान की कटाई, मड़ाई तथा उपज :
50 प्रतिशत बालियां निकलने के बीस दिन बाद या बाली के निचले दानों में दूध बन जाने पर खेत से पानी बाहर निकाल देना चाहिए जब 80-85 प्रतिशत दाने सुनहरे रंग के हो जाये अथवा बाली के निकलने के 30-35 दिन बाद कटाई करना चाहिए। इससे दाने को झड़ने से बचाया जा सकता है। अवांछित पौधों को कटाई के पहले ही खेत से निकाल देना चाहिए। संकर धान से 40 से 60 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है |