‘फलों का राजा’ आम न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में लोगों द्वारा बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है। हमारे देश में उत्पादित किये जाने वाले फलों में आम का अग्रणी स्थान है| अद्वितीय स्वाद, मनमोहक खुशबू, आकर्षक रंग तथा आकार, क्षेत्र एवं जलवायु के अनुकूल उत्पादन क्षमता, पोषक तत्वों की प्रचुरता, व्यावसायिक किस्मों की उपलब्धता और जनसाधारण में लोकप्रियता के कारण इसे फलों के राजा की संज्ञा दी गयी है| कभी राजाओं और नवाबों की निजी सम्पत्ति कहलाने वाला यह फल उत्पादकता की दृष्टि से लाभकारी होने के कारण छोटे-बड़े बागवानों तक पहुँच चुका है| हमारे देश की आम की बहुत उन्नत स्वादिष्ट लजीज क़िस्में उगायी जाती हैं राज्यवार क़िस्मों के बारे में जाने –

उत्तर प्रदेश-
दशहरी, बाम्बे ग्रीन, गौरजीत, लंगड़ा, फजरी, सफेदा लखनऊ, समरबहिश्त चौसा और रतौल आदि प्रमुख है|
हरियाणा-
सरोली (बाम्बे ग्रीन), दशहरी, लंगड़ा और आम्रपाली आदि प्रमुख है|
गुजरात-
आफूस, केसर, दशेरी, लंगड़ो, राजापुरी, वशीबदामी, तोतापुरी, सरदार, दाडमियो, नीलम, आम्रपाली, सोनपरी, निल्फान्सो और रत्ना आदि प्रमुख है|
बिहार-
लंगड़ा (कपूरी), बम्बई, हिमसागर, किशन भोग, सुकुल, बथुआ और रानीपसंद आदि प्रमुख है|
मध्य प्रदेश-
अल्फान्सो, बम्बई, लंगड़ा, दशहरी और सुन्दरजा आदि प्रमुख है|
पंजाब-
दशहरी, लंगड़ा और समरबहिश्त चौसा आदि प्रमुख है|
बंगाल-
बम्बई, हिमसागर, किशन भोग, लंगड़ा जरदालू और रानीपसन्द आदि प्रमुख है|
महाराष्ट्र-
अल्फान्सो, केसर, मनकुराद, मलगोवा और पैरी आदि प्रमुख है|
उड़ीसा-
बैंगनपल्ली, लंगड़ा, नीलम और सुवर्णरेखा आदि प्रमुख है|
कर्नाटक-
अल्फान्सो, बंगलौरा, मलगोवा, नीलम और पैरी प्रमुख है|
केरल-
मुनडप्पा, ओल्यूर और पैरी आदि प्रमुख है|
आन्ध्र प्रदेश-
बैंगनपल्ली, बंगलौरा, चेरुकुरासम, हिमायुद्दीन और सुवर्णरेखा आदि प्रमुख है|
गोवा-
फरनानडीन और मनकुराद प्रमुख है|
सामान्य उन्नत किस्में-
बाम्बे ग्रीन, लंगड़ा, दशहरी, फजरी, समरबहिश्त चौसा, बम्बई, हिमसागर, किशन भोग, बैंगनपल्ली, अल्फान्सों, केसर, नीलम, सुवर्णरेखा, तोतापरी, वनराज किस्में है| अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- आम की किस्में
संकर किस्में-
आम्रपाली, मल्लिका, अरका अरून, अरका पुनीत, अरका अनमोल, अरका नीलकिरण, रत्ना, पी के एम- 1, सिन्धु, अउ रूमानी, मंजीरा, दशहरी- 5, दशहरी- 51, अम्बिका, गौरव, राजीव, सौरव, रामकेला, तथा रत्ना प्रमुख किस्में हैं| अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें-
आम की संकर किस्में – शीघ्र पकने वाली किस्में-
हिमसागर, दिल पसंद, बाम्बेे ग्रीन, अमीन, बरबेलिया इत्यादि है|
मध्यम समय में पकने वाली किस्में-
दशहरी, लंगडा, सुन्दरजा, अलफांसो, मल्लिका, केसर, मालदा, कृष्णभोग इत्यादि है|
देर से पकने वाली किस्में-
चौसा, नीलम, फजली, आम्रपाली, तोतापरी, इत्यादि है|

इन भारतीय आमों की क़िस्मों पर जापान का एक आम इन दिनो भारी पड़ रहा है। जिसकी क़ीमत व सुरक्षा के बारे में सारा मीडियाहाउस इन दिनों कवरेज में पूरा दमख़म लगा रहा है। कुछ मीडिया हाउस ने तो यहाँ तक लिखा है कि – Taiyo no Tamago is the worlds most expensive mango, which is not sold, it is only available as a gift | Taiyo no Tamago है दुनिया का सबसे महंगा आम, जो सिर्फ तोहफे में मिलता है, दीवार पर सजता है |
जी हाँ जापानीज आम इन दिनों पूरे जेड प्लस सुरक्षा के घेरे में हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि मध्य प्रदेश के एक आग के बाग में चंद आमों की रखवाली के लिए बाग के मालिक ने एक दो नहीं बल्कि 4 चौकीदार और 6 कुत्ते तैनात किए हैं। आइए जानते हैं लकज़िरीयस लाइफ़ व जेड प्लस सुरक्षा से लैस जापानीज आम के बारें में –

मियाजाकी आम – दुनिया का सबसे महंगा आम कौन सा है, भारत का सबसे महंगा आम कौन सा है –
दरअसल मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से 25 किलोमाटीर दूर चरगवां क्षेत्र के नानाखेड़ा गांव में संकल्प परिवार नाम के एक व्यक्ति का एक फार्म हाउस में पके आम इन दिनों चर्चा में है। इस बाग में मियाजाकी (miyazaki) आम के कुछ पेड़ हैं- ये आम की एक किस्म है। कहा जाता है कि मियाजाकी आम दुनिया का सबसे महंगा आम होता है। बाजार में इसकी कीमत 2.70 लाख रुपये प्रति किलोग्राम होती है। हालांकि बाग के मालिक का कहना है कि अभी उनके पास ₹21000 तक की डिमांड आई है लेकिन वो अभी इन आमों को नहीं बेचेंगे। संकल्प जी के अनुसार पहला आम महाकाल को समर्पित किया जाएगा और फिर व्यापार किया जाएगा।
पौने 3 लाख का एक आम, सिक्योरिटी गार्ड और 6 कुत्ते कर रहे हैं पेड़ की रक्षा
बाग के मालिक संकल्प परिवार का कहना है कि पिछली बार आम चोरी हो गए थे। लोग आते हैं देखते हैं । इसलिए सुरक्षा के नीचे से यह सब किया गया है। संकल्प के बगीचे में 14 किस्म के आम के पेड़ हैं। इसके अलावा उनके बगीचे में अमरुद और इस तरह के अन्य फलों के पेड़ भी लगे हुए हैं।
मध्य प्रदेश बागवानी विभाग ने मियाजाकी (miyazaki) ताईयो नो तमागो आम के बारे में क्या कहा –
मध्य प्रदेश बागवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मियाजाकी (miyazaki) आम भारत में बहुत ही दुर्लभ हैं, इनके महंगा होने की वजह इनकी कम पैदावार और इनका मीठा स्वाद है। ये आम न सिर्फ देखने में अन्य आम से अलग नजर आते हैं बल्कि कई देशों में तो लोग इन आमों को गिफ्ट्स में देते हैं।
क्या है ताईयो नो तमागो ? Taiyo no Tamago Mango in hindi
ताईयो नो तमागो – जापान के मियाजाकी शहर में आम की यह खास किस्म पैदा की जाती है। सुर्ख लाल रंग के इन आमों को दुनिया में सबसे महंगा माना जाता है। बताया जाता है कि इसके हर आम के रंग, वजन और उसमें शुगर की मात्रा का मानक तय है। इसका एक आम कम से कम 350 ग्राम का होना चाहिए और उसमें शुगर 15 फीसद या ज्यादा होनी चाहिए। इसके लिए तापमान और सूर्य के प्रकाश की विशेष व्यवस्था रखी जाती है। जापानी में ताईयो नो तमागो का अर्थ ‘सूर्य का अंडा’ होता है।

मियाजाकी जापानीज आम ताईयो नो तमागो आम की ख़ासियत – Miyazaki Taiyo no Tamago Mango

फार्म हाउस के मालिक संकल्प परिहार का दावा है कि इस आम की कीमत दो लाख 70 हजार रुपये प्रति किलो तक हो सकती है। इस महंगी वैरायटी को ताईयो नो तमागो के नाम से जाना जाता है। यह मूलत: जापान में ही पाई जाती है।
संकल्प का कहना है कि वे तीन साल पहले चेन्नई की एक नर्सरी से वे कई किस्मों के आम के लगभग 100 पौधे लाए थे। उनमें 52 पौधे ताईयो नो तमागो किस्म के थे। पिछले साल जापानी पद्धति के आम आने शुरू हुए। गूगल से आम की किस्म का पता लगने के बाद उन्हें इसकी कीमत का अंदाजा हुआ और उन्होंने सुरक्षा की व्यवस्था की।
मियाजाकी जापानीज आम ताईयो नो तमागो की क्या है क़ीमत –
जापान के मियाजाकी शहर की आम की क़िस्म ताईयो नो तमागो, यह विश्व का सबसे महँगा आम हो सकता है। जानकारों की माने तो बाजार में ताईयो नो तमागो आम की इसकी कीमत 2.70 लाख रुपये प्रति किलोग्राम होती है। हालाँकि फार्म हाउस में मालिक संकल्प परिहार के अनुसार अभी तक उनके पास ₹21000 तक की डिमांड आई है लेकिन वो अभी इन आमों को नहीं बेचेंगे।

अन्य देशों से पौधे लाने की है व्यापक प्रक्रिया –
कृषि मंत्रालय भारत सरकार के बागवानी विभाग के अपर आयुक्त डॉ नवीन पटले ने बताया कि अन्य देशों से पौधे या बागवानी से जुड़ी सामग्री लाना होता है तो इसकी एक पूरी प्रक्रिया है, जिसमें परीक्षण कमेटी होती है। आवेदन के बाद कमेटी ही यह तय करती है कि जो पौधा अन्य देश से यहां लाया जा रहा है, वह देश के लिए उपयुक्त है या नहीं। प्रक्रिया का पालन किए बिना अन्य देश से पौधे, बीज लाना अनाधिकृत होता है।
कृषि विज्ञानी के अनुसार आम ताइयो नो टमैगो किस्म डीएनए टेस्ट तक के बाद होगी प्रमाणित
संकल्प के फार्म में लगे दुनिया के सबसे महंगे आम पर कृषि विज्ञानियों की अलग राय है। वहीं जवाहरलाल कृषि विवि जबलपुर के हार्टिकल्चर विज्ञानी प्रो एसके पांडे ने फार्म में लगे आमों को देखने के बाद आम के दामों व वैरायटी के दावों को खारिज कर रहे हैं।

उनका कहना है कि डीएनए के मिलान के बाद ही इसकी सत्यता प्रमाणित की जा सकती है। प्रो.एसके पांडे ने बताया कि देश में 1200 किस्म के आम होते हैं। यह आम ताईयो तमागो किस्म का ही है, यह नहीं कहा जा सकता, जब तक कि डीएनए से मिलान न हो जाए। फार्म मालिक को इसकी किस्म के बारे में पता ही नहीं है और न ही उसने पौधे अधिकृत नर्सरी से लिए हैं। चेन्नई में कई नर्सरी संचालक, कई किस्मों को मिलाकर नई किस्म तैयार करते हैं, जिससे यह पता लगाना संभव नहीं होता है कि असल किस्म कौन सी है।

फार्म मालिक को इसकी किस्म के बारे में पता ही नहीं है और न ही उसने पौधे अधिकृत नर्सरी से लिए हैं। चेन्नई में कई नर्सरी संचालक कई किस्मों को मिलाकर नई किस्म तैयार करते हैं। इससे यह पता लगाना संभव नहीं होता कि असल किस्म कौन सी है।
विदेश से पौधे लाने की है प्रक्रिया-
कृषि मंत्रालय भारत सरकार के बागवानी विभाग के अपर आयुक्त डॉक्टर नवीन पटले के मुताबिक विदेश से पौधे या बागवानी से जुड़ी सामग्री लाने की एक प्रक्रिया होती है, इसमें परीक्षण कमेटी होती है। आवेदन के बाद कमेटी ही यह तय करती है कि जो पौधा अन्य देश से यहां लाया जा रहा है, वह देश के लिए उपयुक्त है या नहीं। प्रक्रिया का पालन किए बिना अन्य दो से पौधे या बीज लाना नियमों के खिलाफ है।