सदाबहार की खेती कैसे करें | sadabahar ki kheti kaise kare

सदाबहार की खेती कैसे करें ? – sadabahar ki kheti kaise kare

  • श्रेणी (Category) : सगंधीय
  • समूह (Group) : कृषि योग्य
  • वनस्पति का प्रकार : शाकीय
  • वैज्ञानिक नाम : विंका रोसा
  • सामान्य नाम : सदाबहार
  • कुल : एपोसायनेसी
  • आर्डर : जेन्टीएनालेस

प्रजातियां :
सी. रोसीअस

उत्पति और वितरण :

यह मूल रूप से मेडागास्कर का पौधा है परन्तु संपूर्ण दुनिया में व्यापक रूप से इसकी खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है।

वितरण :

यह एक महत्वपूर्ण औषधीय और बहुवर्षीय पौधा है जिसके संपूर्ण भाग का उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगो के इलाज में किया जाता है। इसे समान्यत: बगीचों और छायादार स्थानों में लगाया जा सकता है। इसे अग्रेंजी मे अनेक नामों जैसे केप पेरिविंकल और रोज पेरिविंकल के नाम से जाना जाता है।

सदाबहार की खेती कैसे करें ? - Sadabahar ki kheti kaise kareउपयोग :

मधुमेह, उच्च रक्तचाप, जुकाम, आखों की जलन और सक्रंमण जैसी बीमारियों के इलाज के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।यह मांसपेशियों, केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का दर्द कम करने में मदद करता है।यह नकसीर, मसूडों से खून आना, मुँह के छाले और पीड़ादायक गले के इलाज में प्रयोग होता है।आंतरिक रूप से भी इसका प्रयोग दस्त, आंतशोध और रक्त में शर्करा के उच्च स्तर में करते है।

उपयोगी भाग :

संपूर्ण पौधा


स्वरूप :

यह एक सदाबहार शाकीय पौधा है।यह आसानी से बढ़ने वाली और फैलने वाली बारहमासी जड़ी – बूटी है।

पत्तिंया :

पत्तियाँ हरी, चमकीली और जोड़े में एक दूसरे के विपरीत होती है।पत्तियाँ सरल, अण्डाकार 2.5 से 3 से.मी. लंबी, 1 से 3.5 चौड़ी और एक छोटे डंठल के साथ होती है।

फूल :

फूल में आधारीय दलपुंज 2.5 से 3 से.मी. लंबे होते है।

फल :

फल जोड़े में 2-4 से.मी. लंबे और 3 मिमी चौड़े होते है।फल परिपक्व होने पर फट जाते है।

परिपक्व ऊँचाई :

यह 3 फुट तक की ऊचाँई तक उगता है।


जलवायु :

इसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जा सकता है।sadabahar ki kheti  के लिए 2.5 – 300 C तापमान की आवश्यकता होती है।चमकदार रोशनी में सूर्य की धूप के साथ इसका विकास उच्च होता है।

भूमि :

sadabahar ki kheti  के लिए उत्तम जल निकासी के साथ उपजाऊ भूमि सर्वोत्तम होती है। 6 से 6.5 pH मान वाली मिट्टी में इसे उगाया जा सकता है।


भूमि की तैयारी :

लगभग 6 इंच की गहराई तक क्यारियों को खोदा जाता है।रोपाई के पहले 1 इंच मोटी परत की खाद को मिट्टी में मिलाया जाता है। sadabahar ki kheti  के लिए अच्छा समय सितम्बर से फरवरी होता है।

फसल पद्धति विवरण :

बीजों द्वारा sadabahar ki kheti आसानी से की जा सकती हैं।बीजों को खेतों में बोया जाता हैं।

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खाद :

भूमि की तैयारी के समय 50-100 क्विंटल FYM मिट्टी में मिलाना चाहिए।फास्फोरस और पोटेशियम की खुराक दो भागों में देना चाहिए।

सिंचाई प्रबंधन :

sadabahar ki kheti  में नियमित रूप से सिंचाई करना चाहिए।विशेष रुप से गर्म और शुष्क मौसम के दौरान साथ-साथ पौधे के विकास के दौरान भी सिंचाई करना चाहिए।रोपाई के 3 महीने के बाद 15-15 दिनों के अंतराल से सिंचाई करना चाहिए।यह फसल जल की सघनता सहन नहीं कर सकती है।

घासपात नियंत्रण प्रबंधन :

पौधों को नियमित नि़ंदाई आवश्यक होती है।रोपाई के 2 महीने के बाद नि़ंदाई की आवश्यकता होती है।


तुडाई, फसल कटाई का समय :

रोपाई के 12 महीने के बाद पौधा तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है।अनुवर्ती कटाई 3-3 महीने के अंतराल के बाद की जा सकती है।फूलों, जडों, पत्तियों और बीजों को अलग – अलग एकत्रित करना चाहिए।


सुखाना :

एकत्रित फूल, पत्तियों और बीजों को अलग- अलग सुखाया जाता है।सभी को सूरज की रोशनी में सुखाना चाहिए।

पैकिंग (Packing) :

वायुरोधी थैले इसके लिए आदर्श होते है।नमी के प्रवेश को रोकने के लिए पालीथीन या नायँलान के थैलों में पैक किया जाना चाहिए।

भडांरण (Storage) :

सामग्री को सूखे स्थानों में संग्रहीत किया जाना चाहिए।गोदाम भंडारण के लिए आदर्श होते है।शीत भंडारण के लिए अच्छे नहीं होते है।

परिवहन :

सामान्यत: किसान अपने उत्पाद को बैलगाड़ी या टैक्टर से बाजार तक पहुँचता हैं।दूरी अधिक होने पर उत्पाद को ट्रक या लाँरियो के द्दारा बाजार तक पहुँचाया जाता हैं।परिवहन के दौरान चढ़ाते एवं उतारते समय पैकिंग अच्छी होने से फसल खराब नहीं होती हैं।

अन्य-मूल्य परिवर्धन (Other-Value-Additions) :

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