क्या आप रोज़गार तलाश रहे हैं ? क्या आपके पास एक एकड़ जमीन है ? अगर आपका जवाब हाँ है तो फिर आपको कहीं और नौकरी ढूँढने की जरूरत बिलकुल भी नहीं है । आप अपने घर में रहकर भी अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। आप सहजन की खेती (sahjan ki kheti ) से साल में 600000 से 700000 रुपए तक कमा सकते हैं। सहजन की वैज्ञानिक खेती (sahjan ki kheti ) की विधि की ट्रेनिंग आप हरियाणा,पंजाब,स्थित कृषि विश्वविद्यालयों में ले सकते हैं ।

सहजन की सब्ज़ी बनती है । साथ ही इसकी फलियों आग में भूनकर भी खाया जाता है । बाज़ार में सहजन की बड़ी माँग है । इसकी फलियाँ 30-60 रुपए किलो तक बाज़ार में मिलती है । वहीं सहजन के बीज बाज़ार में 4000 रुपए किलो तक बिकते हैं । इसे आप स्वरोज़गार की तरह अपना सकते हैं ।
सहजन की खेती (sahjan ki kheti ) पहले आइए जाने सहजन या मुनगा के बारे में-
सहजन को मुनगा (munga), मोरिंगा (moringa) या सुरजना (surjana) के नाम से जाना जाता है । यह भारतीय मूल का मोरिन्गासाए परिवार का सदस्य है। इसका वनस्पतिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa oleifera) है। सहजन एक बहुवर्षिक, कमजोर तना और छोटी-छोटी पत्तियों वाला लगभग दस मीटर से भी उंचाई वाला पौधा है। इसकी ख़ासियत एक बड़ी ख़ासियत यह भी है कि यह कमजोर जमीन पर भी बग़ैर सिंचाई व देखभाल के सालों भर हरा-भरा रहता है। मुनगे का पौधा तेजी से बढने वाला पौधा होता है। सहजन की खेती (sahjan ki kheti ) से 10 महीने में एक लाख रुपए तक कमा सकते हैं ।
सहजन की खेती (sahjan ki kheti ) – लागत कम और फायदा ज़्यादा
अभी हाल ही में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा साल में दो बार फलने वाला सहजन का पौधा वार्षिक प्रभेद द्वारा तैयार किया गया है । आइए खेती किसानी में आज हम बात करेंगे सहजन के फ़ायदे व सहजन की खेती (sahjan ki kheti ) के बारे में।
मुनग़ा,सहजन के लाभ-
स्थानीय भाषा में इसे मुनग़ा, सहजन तथा सुरजना नाम से जाना जाता है। मुनगे का यह पौधा कुपोषण दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । मुनगे को अफ़्रीकन देशों में माताओं का सबसे अच्छा दोस्त (mother best friend) माना जाता है । वहीं सहजन या मुनगे को पश्चिमी देशों में इसे न्यूट्रीशन डाइनामाइट (nutrition dynamite) के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है।

मुनगा बहुउपयोगी पौधा है। सहजन या मुनगा केपौधे के सभी भागों, फल,फूल,पत्ती, का प्रयोग भोजन,दवा औद्योगिक कार्यो आदि में किया जाता है। मुनगा या मोरिंगा में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व व विटामिन है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार सहजन में दूध की तुलना में चार गुना पोटेशियम,संतरा की तुलना में सात गुना विटामिन सी पायी जाती है। सहजन या मोरिंगा के फूल,फल और पत्तियों का भोजन के रूप उपयोग में लाया जाता है। सहजन की छाल, पत्ती, बीज, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक औषधियाँ बनायी जताई हैं । जिससे 300 प्रकार की बीमारियों दूर की जा सकती है ।
मुनगा के पौधा से गूदा निकालकर कपड़ा और कागज उद्योग के काम में व्यवहार किया जाता है। हमारे देश की कई आयुर्वेदिक कम्पनियाँ जैसे ayur, patanjali, संजीवन हर्बल कम्पनी सहजन से दवा बनाकर (पाउडर, कैप्सूल, तेल बीज आदि) विदेशों में निर्यात कर विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहे हैं । क्षेत्र में सहजन की खेती से दूर-दराज के बाजारों में सब्जी के रूप में इसका सालों भर बिक्री कर आमदनी का साधन बना सकते हैं । इसके साथ औषधीय व औद्योगिक गुणों के कारण किसानों में लोकप्रिय हो सकती है । सहजन बिना किसी विशेष देखभाल एवं ज़ीरो कास्ट पर आमदनी देनी वाली फसल है। किसान भाई अपने घरों के आस-पास अनुपयोगी बेकार, परती ज़मीन पर सहजन के कुछ पौधे लगाकर जहां उन्हें घर के खाने के लिए सब्जी, वहीं इसे बेचकर आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त कर अपना जीवन स्तर सुधार सकते हैं ।

दक्षिण भारतीय लोग सहजन के फूल, फल, पत्ती का प्रयोग विभिन्न प्रकार के दक्षिण भारतीय व्यंजनों में साल भर करते हैं । सहजन मुनग़ा या सूरजना का उपयोग अपने देश के अलावा फिलीपिंस, हवाई, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। बाजार में सहजन का फूल, छोटा-नन्हा कोमल सहजन से लेकर बड़ा और मोआ सहजन भी ऊँचे दामों में बिकता है।
जलवायु (climate)–
सहजन या मुनग़ा विभिन्न पारिस्थितिक अवस्थाओं में उगने वाला एक ढीठ स्वभाव का पौधा है। यह काफ़ी ठंड सहन कर लेता है। कम या ज्यादा वर्षा से पौधे को कोई नुकसान नहीं होता है।सहजन की खेती (sahjan kheti) को पाला से नुकसान होता है। सामान्यतया 25-300 के औसत तापमान पर सहजन के पौधा का हरा-भरा व काफी फैलने वाला विकास होता है। फूल आते समय 400 से ज्यादा तापमान पर फूल झड़ने लगता है।
मिट्टी (soil selection)
सहजन की खेती (sahjan kheti) की सभी प्रकार की मिट्टियों में जा सकती है। बेकार, बंजर और कम उर्वरा भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है, किंतु व्यवसायिक खेती के रूप में, जहाँ पर साल में दो बार फलनेवाला सहजन के प्रभेदों के उद्देश्य से मुनगे की खेती की जाती है। वहाँ पर सहजन की खेती के लिए मिट्टी का चयन 6-7.5 पी.एच. मान वाली बलुई दोमट मिट्टी करें।
सहजन की क़िस्में व प्रभेद (varieties of moringa)
सहजन में दो बार फलने वाली किस्मो में –
पी.के.एम.1,
पी.के.एम.2,
कोयेंबटूर 1
कोयेंबटूर 2
ज्योति -1 आदि हैं । इस प्रजाति को लगाने से एक पौधे में 700 फलियां लगती हैं । जबकि इसके मुक़ाबले अन्य प्रजातियाँ 250-300 फलियाँ ही देती हैं ।
प्रमुख हैं।विसारदीय ने सहजन की एक नई प्रजाति की खोज की है, जिसका नाम है “ज्योति-1” है। सहजन के इस क़िस्म का पौधा 4-6 मीटर उंचा होता है। तथा 90-100 दिनों में इसमें फूल आते हैं। जरूरत के अनुसार विभिन्न अवस्थाओं में फल की तुड़ाई करते रहते हैं। पौधे लगाने के लगभग 160-170 दिनों में फल तैयार हो जाता है। इसके पौध से 4-5 वर्षो तक पेड़ी फसल लिया जा सकता है। प्रत्येक वर्ष फसल लेने के बाद पौधे को जमीन से एक मीटर छोड़कर काटना आवश्यक है।
खेत की तैयारी (preparation of soil)
सहजन के पौध की रोपनी में गड्ढा बनाकर किया जाता है। सहजन की खेती (sahjan kheti) खेत को अच्छी तरह खरपतवार से साफ़-सफाई का 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. आकार का गड्ढा बनाते हैं। गड्ढे के उपरी मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ा हुआ गोबर का खाद मिलाकर गड्ढे को भर देते हैं। इससे खेत पौध के रोपनी हेतु तैयार हो जाता है।
प्रबर्द्धन (sajhan nursery)
सहजन में बीज और शाखा के टुकड़ों दोनों से ही प्रबर्द्धन होता है। सहजन की खेती (sahjan kheti) अच्छी फलन और साल में दो बार फलन के लिए बीज से प्रबर्द्धन करना अच्छा है। एक हेक्टेयर में खेती करने के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त है। बीज को सीधे तैयार गड्ढों में या फिर पॉलीथीन बैग में तैयार कर गड्ढों में लगाया जा सकता है। पॉलीथीन बैग में पौध एक महीना में लगाने योग्य तैयार हो जाता है।
शस्य प्रबंधन (sahjan plantation ) –
अगर आप पौध हेतु बीज की बुवाई जून – जुलाई में कर देते हैं। तो निश्चित रूप से आपको एक माह बाद यानी जुलाई – सितम्बर में रोपाई के लिए मुनगा के पौधे तैयार मिलते हैं। लाइन से लाइन की दूरी 12 फिट और प्लांट से प्लांट की दूरी 7 फिट रखी जाती है, एक एकड़ खेत में 518 पौधे लगाए जाते हैं। माह जुलाई-सितम्बर तक रोपाई का कार्य पूर्ण कर लें,जब लगभग 75 सेंमी. का हो जाये तो पौध के ऊपरी तो तोड़ दें जिसे खोटनी भी कहते हैं । इसका फ़ायदा यह होगा कि इससे बगल से शाखाओं को निकलने में आसानी होगी।
खाद व उर्वरक (fertilizers and manures) –
मुनगे या सहजन की रोपाई के एक महीने के बाद 100 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम सुपर फास्फेट + 50 ग्राम पोटाश प्रति गड्ढा की दर से डालें । तथा इसके तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा का उर्वरक दें । वैज्ञानिकों द्वारा सहजन पर किए गए शोध से यह पाया गया कि मात्र 15 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति गड्ढा तथा एजोसपिरिलम और पी.एस.बी. (5 किलोग्राम/हेक्टेयर) के प्रयोग से जैविक सहजन की खेती अच्छी उपज ली जा सकती है।
सिंचाई व खरपतवार रोकथाम (irrigation) –
सहजन की खेती (sahjan kheti) से अच्छी उपज लेने हेतु सिंचाई करना बहुत ज़रूरी है। सहजन के पौध में सामान्य जल माँग होती है। बीजों के अंकुरण के समय नमी का होना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा पौधों में फूल लगते समय मिट्टी न अधिक शुष्क हो और ना भी अधिक नमी। अधिक नमी या सूखा होने से फूल झड़ जाते हैं।
वैसे तो मुनगे में खरपतवार की देखभाल की आवश्यकता नही होती है। फिर भी मुनगे के पेड़ के आस पास उगे खरपतवार निराई कर हटा देना चाहिए। पौधे के जड़ों में मिट्टी भी चढ़ा देना चाहिए।
पौध सुरक्षा –
भुआ पिल्लू कीट –
सहजन पर लगने वाले इस कीट के प्रति गम्भीर रहे। क्योंकि यह सम्पूर्ण पौधे की पत्तियों को खा जाता है इसके साथ आसपास में भी फ़ैल जाता है। अंडा से निकलने के बाद अपने नवजात अवस्था में यह कीट समूह में एक स्थान पर रहता हैं बाद में भोजन की तलाश में यह सम्पूर्ण पौधों पर बिखर जाता है।
रोकथाम –
इसके नियंत्रण के लिए सरल और देशज उपाय यह है कि कीट के नवजात अवस्था में सर्फ को घोलकर अगर इसके ऊपर डाल दिया जाय तो सभी कीट मर जाते हैं। वयस्क अवस्था में जब यह सम्पूर्ण पौधों पर फ़ैल जाता है तो एकमात्र दवा डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करने से तत्काल लाभ मिलता है।
फल मक्खी –
सहजन के पौधे पर फल पर इस कीट का कभी-कभी हमला होता है ।
रोकथाम –
इस कीट के नियंत्रण हेतु भी डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. दवा एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने पर कीट का नियंत्रण होता है।
फल की तुड़ाई-
सहजन की क़िस्म जो साल में दो बार फल देते हैं उनकी तुड़ाई सामान्यतया फरवरी-मार्च और सितम्बर-अक्टूबर में होती है। एक बात और सहजन के फल में रेशा आने से पहले ही तुड़ाई कर लें। बिना रेशे वाले मुनगे के फलों की बाजार में मांग अच्छी रहती है। और इससे लाभ भी ज्यादा मिलता है। सहजन की तुड़ाई बाजार और मात्रा के अनुसार 1-2 माह तक चलता है।
उपज
प्रत्येक पौधे से लगभग 200-400 (40-50 किलोग्राम) सहजन सालभर में प्राप्त हो जाता है।
आशा है आपको सहजन की खेती (sahjan ki kheti ) – लागत कम और फायदा ज़्यादा लेख पसंद आया होगा । सतावर अथवा शतावर की खेती (satawar ki kheti) से कमाएँ 6 लाख का मुनाफ़ा लेख ज़रूर पढ़ें । kheti kisani की लेटेस्ट अपडेट के लिए आप हमें facebook पर लाइक कर सकते हैं । व twitter, instagram, Linkedin Pinterest सोशल मीडिया पर follow करें । हमारे Youtube चैनल को subscribe करें ।