Titar Palan – देश में मुर्गी पालन और बत्तख पालन के व्यवसाय को अपनाते हैं। आप किसानों को शायद जानकारी होगी कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों और जंगलों में एक ऐसी पक्षी है, जिसमें पोल्ट्री फार्मिंग से भी ज्यादा प्रॉफिट है। ज्यादा मुनाफे की वजह से किसानों के बीच तीतर पालन Bater Farming Bussiness बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रही है।किसान इससे मात्र दो महीने के अंदर बंपर मुनाफा कमा सकता है।
Teetar Palan – बंपर मुनाफा के लिए बटेर पालन करें
छोटे आकार और कम वजन की वजह से भोजन और जगह की आवश्यकता भी कम होती है। ऐसे में इन तीतरपालन में किसान को ज्यादा पूंजी भी नहीं लगानी पड़ती। आप शुरुआत में 10-20 तीतर पालकर घर में ही इसकी शुरुआत कर सकते हैं।
बटेर पक्षी का परिचय
तीतर एक जंगली पक्षी है। तीतर जिसे बटेर भी कहा जाता है। यह साल में 300 अंडे देने की क्षमता रखती है। ये पक्षी अपने जन्म के 40 से 45 दिनों में अंडे देना शुरू कर देती है । जन्म लेने के 30 से 35 दिनों में ही तीतर 180 से 200 ग्राम के हो जाते हैं। कम लागत में इसका मीट बेहद स्वादिष्ट माना जाता है। तीतर पालन का बिजनेस अब काफ़ी लोक प्रिय हो रहा है।
पोषक तत्वों से भरपूर होता है तीतर
तीतर के अंडे में कॉर्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और मिनिरल प्रचूर मात्रा में होते हैं। प्रति ग्राम जर्दी में 15 से 23 मिली ग्राम कोलेस्ट्राल पाया जाता है. कई तरह के बीमारियों में इसके अंडे के सेवन की सलाह दी जाती है।
तीतर की मार्केटिंग
तीतर का मांस बेहद स्वादिष्ट होता है जिससे लोग इसके अंडे व मांस बड़े चाव से खाते हैं। इनके मांस की बाजार में काफी डिमांड रहती है। यही वजह है कि ये अच्छे कीमतों पर बिकते हैं। तीतर के अंडे और मांस लोकल मार्केट में आसानी से बिक जाते हैं। एक तीतर लोकल मार्केट में 80-100 रुपये में बिक जाता है।इसका मांस भी चिकन के मुकाबले अच्छे कीमतों पर बिकता है। जिससे बटेर पालन से किसान बढ़िया पैसा हासिल कर सकते हैं।
तीतर पालन के लिए सरकार से लेना होगा लाइसेंस
शिकार की वजह से तीतर विलुप्त होने के कगार पर हैं। ऐसी स्थिति में सरकार ने तीतर पालन के शिकार और बिना लाइसेंस के पालन पर प्रतिबंध लगाया है। अगर आप तीतर पालन करना चाहते हैं। तो आपको सरकार से लाइसेंस लेना होगा। सरकार इसके व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को आर्थिक तौर पर मदद भी करती है। ये व्यवसाय को बेहद कम वक्त में शुरू किया जा सकता है. ऐसा करने तीतर की संख्या में भी इजाफा होगा और किसानों का मुनाफा भी बढ़ेगा।